कौन है इसके जिम्मेदार ???
Hello Friends ,
मैं हूँ आर्यन , और लेकर आया हूँ एक नया ब्लॉग |
अभी कुछ समय की बात है , एक न्यूज़ मेरे पास आया था जिसमे कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के पिछले ऑनलाइन और अभी सेंटर में बैठकर परीक्षा दिलाने पर पास होने वाले विद्यार्थियों की संख्या का तुलना किया गया था , हमारे छत्तीसगढ़ के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की बात करूँ तो पिछले ऑनलाइन ( घर से परीक्षा दिलाना ) परीक्षा में बी.एस.सी. अंतिम वर्ष में 97.5 प्रतिशत विद्यार्थी पास हुए थे पर अभी जब सेंटर में परीक्षा लिया गया तो मात्र 53 प्रतिशत विद्यार्थी ही पास हुए हैं |
मतलब 44.5 प्रतिशत विद्यार्थी बीच में ही अटक गए |
भले ही ये अंक आपके लिए ज्यादा मायने नहीं रखते होंगे , पर इसे नज़रअंदाज़ भी तो नहीं किया जा सकता हैं ा
इसका अर्थ ये हुआ की 100 में से केवल 53 ही वो लोग हैं जो अपनी पढ़ाई को लेकर ही गंभीर हैं , बाकि तो केवल अवसर देख रहे थे की बहती गंगा में हम भी अपना हाथ धो लेते हैं | जब Corona lockdown हुआ था , तो यही लोग 90 प्रतिशत ला रहे , ये बिलकुल उसी तरह है जैसे किसी मोबाइल गेम को खेलते वक्त बहुत अच्छा प्रदर्शन किये पर जब मैदान में खेलने की बारी आयी तो भीगी बिल्ली बन गए |
कारण क्या है ?
1. पढाई , सिर्फ पैसे कमाने का जरिया |
आज का युवा यही होते जा रहा हैं , उसे अब मेहनत करना अखर रहा है , वो अब असली दुनिया को वर्चुअल दुनिया की तरह समझ रहा है , ज़िन्दगी तो बस पैसा कमाना और मज़े करना ही है , पढ़ाई को सिर्फ पैसे कमाने का ज़रिया समझ लिए रहा है , और जब पैसा , ऐसे ही मिल जा रहा , कोई छोटा मोटा काम कर , मोबाइल में कोई गेम खेलके , किसी सट्टे खिलानी वाली एप्प से तो युवा पढाई क्यों करे ?
2 . ज़िन्दगी क्यों जी रहे , नहीं पता |
ये सबसे बड़ा कारण हैं फ्रेंड्स , और ये तो 100 में से 98 लोगों की समस्या है , जन्म तो ले लिए पर ज़िन्दगी जी क्यों रहे नहीं पता ,
सुबह से शाम , शाम से रात होती है |
ज़िन्दगी यूँ ही तमाम कटती है |
पढाई , शादी , बच्चे , घर - बार इसी को ज़िन्दगी समझी जाती है , पर यकीन मानिये , असली ज़िन्दगी इससे कहीं ज्यादा हटके और कहीं ज्यादा बेहतर है , ये लोग तो बस दिखावे की ज़िन्दगी जी रहे |
सोमवार से शुक्रवार कोई उटपटांग काम में लगे रहेंगे |
फिर शनिवार और रविवार को किसी घूमने वाली जगह जाकर खुद को संतुष्ट करते हैं , की हाँ ज़िन्दगी में कुछ है , पर हैं अंदर से खोखली , तभी तो इनको उसकी पूर्ति के लिए बाहर की चीज़ों पर निर्भर होना पड़ता है |
3 . हमारी शिक्षा व्यवस्था |
ये भी एक जरुरी कारण हैं , पर एकदम ज़्यादा नहीं क्योंकि कॉलेज तक आते आते आपका दिमाग सोचने की क्षमता को विकसित कर चूका होता है |
जब युवा ,कॉलेज में जाता है तो दोस्तों के साथ अय्याशी कर सकता है , तो अपने ज्ञान को बढ़ा क्यों नहीं सकता ? जिस कॉलेज में दोस्तों और अय्याशियों की भरमार होती है , वहां एक लाइब्रेरी भी तो होती है , वहां क्यों नहीं जा सकते ?
वैसे अभी हाल ही में एक न्यूज़ आयी थी , की PET ( प्री इंजीनिअरिंग टेस्ट ) जो इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश हेतु आवश्यक परीक्षा है , उसमे अब जीरो नंबर लाने वालों को भी लिया जाएगा |
वाह क्या बात है !!!!
मतलब इंजीनियर वही बन जाएगा जिसकी नॉलेज जीरो है , उसका दिमाग एक खाली डब्बे जैसा ही है |
अब जब यही इंजीनियर अपना काम करेंगे तो देखिएगा कैसे पूल बनेंगे , कैसे घर बनेंगे |
नतीजा क्या ?
1 . सब्जेक्ट नॉलेज जीरो -
ना तो उनको ढंग से हिंदी आती है , हिंदी का एक निबंध लिखने कहदो , उनके पसीने छूट जाते हैं |
इंग्लिश के नाम पर 2 - 4 word के सिवा कुछ आता नहीं जैसे brother को bro , mother को mom बस यही आता है , 4 लाइन इंग्लिश नहीं बोल सकते |
संस्कृत से तो दूर - दूर तक कोई नाता नहीं फिर हमारे ग्रंथों जैसे गीता , उपनिषद इनका कोई भी अर्थ इनको बता दो , ये मान जाते हैं |
भौतिक , गणित , इतिहास , भूगोल , कॉमर्स इन सबको जो समझा नहीं वो आगे क्या कर पाएगा ?
2 . धर्म और संस्कृति नहीं पता |
इनको धर्म बहुत पुरानी चीज़ लगती हैं , खुद को ओवर स्मार्ट समझने लगते हैं |
फिर क्या ? धर्म , जाति , मजहब के नाम पर यही लोग आपस में लड़ मरते हैं |
इनको उल्लू बनाना आसान होता है , आये दिन न्यूज़ में ये सब आते रहते हैं , कभी न्यूज़ पेपर देख लीजियेगा |
3 . बेरोजगारी -
ये सबसे बड़ी समस्या कही जाती हैं , पर आप ही बताइये ज्ञान के नाम पर आपके पास कुछ नहीं है , तो आपको क्या काम मिल जायेगा ??
बस कॉलेज हुआ और एक व्हाट्सप्प ग्रुप बना लिए , नाम है " अखंड बेरोजगार ग्रुप " , और तरह तरह के तरीके निकालेंगे नौकरी के लिए | " खाली दिमाग , शैतान का घर " |
4. मानसिक स्थिति -
जिन स्कूल और कॉलेज में अपने मानसिक और सामाजिक व्यक्तित्व को निखारना होता है , वहां बस मज़े मारना ही एक लक्ष्य बन जाता है , यहाँ तक की जो युवा पढ़ने में अच्छे होते हैं , उनकी भी मानसिक स्थिति मजबूत नहीं हो पाती हैं |
घर में किसी से झगड़ा हुआ तो ये लोग , आत्महत्या जैसे कदम भी उठा देते है , मतलब कोई उसके अंदर एक Quality नहीं होती , छोटा सा कोई चीज़ भी जब बाजार में खरीदते हैं तो उसकी Quality , गारंटी देखी जाती है , पर आज के अधिकतम युवा का ना तो कोई Quality है , ना ही गारंटी |
कुछ मत कहो इन्हे , ये तो बेचारे " नाज़ुक फूल " हैं |
फिर गलत रास्तों पर यही युवा निकल पड़ते हैं , चोरी , हत्या , डकैती , नशा यही सब करते हैं फिर |
समाधान क्या ?
अब आप बोलेंगे की , मैंने गलतियां बता दी , उसके नुक्सान भी बता दिए , समाधान तो बताया नहीं |
फिक्र मत करिये , समाधान भी है दोस्तों |
1 . आध्यात्मिकता -
जब भी ये शब्द लोग सुनते हैं उनको बस एक सन्यासी का ख्याल आता है , हाथ में कमण्डल लिए , जंगल में चला गया , संसार को त्याग दिया , है ना ?
पर ऐसा बिलकुल भी नहीं हैं , ऐसा होता तो मैं खुद इस रास्ते पर नहीं जाता , फिर आपको क्या बोलूँ ?
आध्यात्मिकता का सीधा - सीधा अर्थ है " स्वयं को अच्छे से जानना " |
बस बात ख़त्म |
बताइये क्या बड़ी बात हो गयी ?
जब तक इंसान खुद को नहीं जान जाता , दुनिया को क्या समझेगा ?
बस बेहोशी में ज़िन्दगी चल रही है , किसी ने गुस्सा दिला दिया , किसी से प्यार हो गया , कभी मन उदास हो गया , कभी मन खुश लग रहा , बस यही हैं आप ?
यूट्यूब पर ढेर सारे वीडियोस हैं , एक बार देखिये की आध्यात्मिकता होता क्या है , मैं दावे से कह सकता हूँ आपको बहुत ही अलग अहसास होगा |
कुछ समय लगेगा चीज़ों को समझने में पर जैसे ही समझ आएगा , आप एक अलग इंसान होंगे |
2 . धर्म ग्रन्थ -
अपने धर्मग्रन्थ को पढ़ना , समझना कभी नहीं छोड़ना चाहिए , आप गीता पढ़िए , उपनिषद पढ़िए , उनका अर्थ जानिए , ये सभी आपकी ज़िन्दगी को बेहतर बनाने के लिए ही हैं |
आजकल एक नया ट्रेंड चल रहा हैं फ्रेंड्स , कोई भी दो कौड़ी का ज्ञान एक पेज पर लिख देंगे , नीचे लिख देते हैं " श्रीमद्भगवद्गीता " , और कई लोग भी ऐसे बेवकूफ हो जाते हैं हैं , उसे सही मान भी लेते हैं , अरे गीता कितना दूर है आपसे ? पढ़ तो लीजिये एक बार |
3 . प्रकृति का साथ -
जितना हो सके , प्रकृति से जुड़िये दोस्तों , सिर्फ अपने में होकर नहीं रहना हैं , पेड़ों , जानवरो के साथ वक्त बिताइए , और थोड़े - थोड़े में आजकल लोग कहीं गए नहीं की अपना मोबाइल निकाल कर शूट करने लग जाते हैं , अरे जी भर के पहले देख तो लीजिये , प्रकृति का आनंद लीजिये , फिर अपलोड करते रहना |
फ्रेंड्स सामाजिकता बहुत आवश्यक है , आपके व्यक्तित्व निखार के लिए | हमारे इंडिया में ये अच्छी बात है , की आज भी फैमिली एक साथ ही रहती है , हालाँकि कुछ मामलों में दिक्कत होती है , पर यही फैमिली इंसान को ताकत भी देती है , आगे बढ़ने के लिए |
अंत में यही कहूंगा , ये पीढ़ी हमारे सभ्यता , समाज का भविष्य है , और हमारी जिम्मेदारी हैं की हम उन्हें सही रास्ता दिखाएं |
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