कौन है जिम्मेदार ??
हैल्लो दोस्तों ,
गर्मी की छुट्टियां खत्म , जिनकी छुट्टियां थी उन्होंने तो खूब मज़े किये होंगे , और जिनकी नहीं थी उन्होंने भी थोड़े बहुत मज़े तो किये ही होंगे , है न ?
वैसे अभी गर्मी की छुट्टियों के साथ ही एक और सीजन खत्म हुआ , क्या आप बता सकते हैं वो किस चीज़ का सीजन था ?
जी हाँ , शायद आप में से कई लोग समझ चुके होंगे , मैं बात कर रहा हूँ शादी के सीजन का |
वो कहते हैं न , " शादी का लड्डू - जो खाये वो पछताये , जो ना खाये वो भी पछताये | "
इन शादियों में लोगों की हंसी ठिठोली , फूटते पटाखों और स्वाद भरे व्यंजन का लुत्फ़ उठाते हुए आपने कुछ भयानक और दर्दनाक सुर्खियां भी सुनी ही होगी , जिसकी शुरुआत तो हुई थी कई जन्मों तक साथ निभाने वाले वादे से , पर वो इतना पंगु निकला की कई जन्म तो क्या , कुछ महीने तक चल जाए वही बहुत था |
तो चलिए आज के ब्लॉग में इसी पर थोड़ी चर्चा कर लेते हैं , गलतियां हुई कहाँ , और आज भी वो गलती क्यों दोहराई जा रही |
दोस्तों जैसा की आप जानते हैं हम मनाव ठहरे सामाजिक प्राणी , बिना समाज के हमारा कोई काम चलता नहीं , सुबह की पहली किरण से लेकर रात के अंतिम अंधियारे की उस परछाई तक हम समाज या यूँ कहूं तो समाज के लोगों पर निर्भर रहते हैं |
एक मानव का जब जन्म होता है तो माँ बाप , अन्य रिश्तेदार उसका चुनाव नहीं होते , मतलब हम ये निर्णय नहीं लेते की हम किसके घर पैदा होंगे , हमारे माँ बाप कौन होंगे ? इसे हम तकदीर या भाग्य के ऊपर छोड़ देते हैं , पर दोस्तों हम सबकी ज़िन्दगी में दो रिश्ते ऐसे होते हैं जो हमारे खुद के हाथ में होते हैं , और हमारी ज़िन्दगी कैसे बीतेगी ये 80 प्रतिशत इन्ही दोनों रिश्तों पर निर्भर करता है , और वो कौन - कौन से रिश्ते हैं ?
पहला दोस्ती |
दूसरा जीवनसाथी |
और किसी इंसान की सबसे बड़ी गलती होती है की या तो वो अपने दोस्त सही से नहीं चुनता , या जीवनसाथी |
दोस्ती पर हम एक हद तक लगाम लगा भी सकते हैं , आप दोस्ती तोड़ सकते हैं , पर शादी ?
आपने आये दिन टीवी , मोबाइल पर न्यूज़ के माध्यम से देखा ही होगा , की आज ये शादियां कितनी गलत दिशा में जा रही , और इस रिश्ते का खात्मा होता है किसी एक या दोनों की मौत से |
हम कहाँ आ गए ?
क्या समाज इससे सबक ले रहा ? बिलकुल नहीं |
शुरुआत :-
दोस्तों शादी की शुरुआत ही गलत तरीके से होती है , आज भी शादी की शुरुआत इस बात से होती है की लड़के या लड़की की उम्र हो गयी है शादी करा दो |
ये कितनी मूर्खतापूर्ण बात है !!!!
उम्र और शादी का मेल है ?
अब आप कहेंगे हमारे देश के कानून में तो न्यूनतम 18 वर्ष लड़कियों के लिए और 21 वर्ष लड़कों के लिए निर्धारित किया गया है , तो मैं कहता हूँ , ये सिर्फ न्यूनतम है , अधिकतम थोड़ी |
हाँ 18 साल की लड़की या लड़का शारीरिक रूप से परिपक़्व हो सकते है , पर क्या मानसिक रूप से परिपक़्व होंगे ?
जवाब है बिलकुल नहीं |
हाँ अगर सिर्फ बच्चे पैदा करने की बात है तो लड़के या लड़कियां 11-12 साल के आसपास की अवस्था में लायक हो जाते हैं , पर फिर आप ये भी मत कहियेगा की शादी पवित्र बंधन हैं , वो दोनों बस आपसी सम्भोग और बच्चे पैदा करने ही शादी कर रहे , फिर शादी बाद प्रेम , आपसी सामंजस्य की बात करना बेईमानी होगी |
" इसीलिए शादी की शुरुआत , शरीर से नहीं बल्कि दिमाग और व्यवहार के तल पर होनी चाहिए | "
बिना प्रेम की शादियां :-
मैं ये बात अक्सर कहता हूँ , की हमारे समाज में प्रेम को कभी स्वीकारा ही नहीं गया , और आज जिसे प्रेम कहते हैं उसे प्रेम नहीं बल्कि हवस की पूर्ति कहा जा सकता है |
प्रेम सीखने की चीज़ होती है , और प्रेम किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं बल्कि सभी के लिए होता है , प्रेम का मतलब ये भी नहीं की बस प्यार भरी बातें हो रही हो , नहीं बिलकुल नहीं |
हमने प्यार शब्द बस फिल्मों से सीखा है , जो फिल्मी प्यार है , हवसी प्यार है , जो सिर्फ आपको गिराने का काम करता है , इसीलिए तो कहते हैं " Fall In Love " , अगर प्यार सही होता तो "Rise In Love" होता |
और समाज के लोग भी प्रेम विवाह स्वीकार नहीं करते , तो गलती भी इसमें समाज की है , क्योंकि प्रेम सिखाया ही नहीं गया , तो जितनी भी पीढ़ीयां आती है , वो प्यार के नाम पर हवस का खेल खेलती हैं और खुद को ही चोट पहुंचाती हैं , अगर सही मार्गदर्शन मिले तो प्रेम विवाह क्यों सफल नहीं हो सकता ?
बन्दर के हाथ में मोती लगना :-
आपने कभी ये कहावत सुनी है ?
इसका मतलब है एक गलत इंसान को सही चीज़ पकड़ा देना , अब उसका क्या हाल होगा ?
सोचिये किसी भिखारी को आपने लैपटॉप दे दिया तो वो क्या प्रोग्रामिंग या एक्सेल सीखेगा ? उसके लिए वो चीज़ बेकार है , वो लैपटॉप को खराब करके ही छोड़ेगा |
आजकल हमारे आसपास की शादियां बिलकुल ऐसे ही हो रही है , याद रखिये , आप जैसे होंगे आपका चुनाव भी वैसा ही होगा , इसीलिए अगर आपका जीवनसाथी से आपकी बात नहीं बन रही इसका मतलब , आपने ही चुनाव गलत किया है |
न व्यवहार मिल रहे , न विचार रहे , तो कुंडली मिलाके क्या महान काम हो जाएगा ?
आप ही बताइये ?
याद रखिये जब तक इंसान खुद नहीं बदलेगा , वो सही नहीं होगा तो , उसके द्वारा किया गया हर काम गलत होगा |
शादी की मान्यता :-
शादियों के असफलता का सबसे बड़ा कारण है की शादी को बहुत बड़ी चीज़ मान लिया जाना , और इतनी बड़ी की इसके बाद अलग होने की सोच भी लोगों को डरा देती है , पहली बात तो ये की शादियों में बेहिसाब खर्चे करके दुनिया के सामने नुमाइश करके आपने गलत कर दिया , दूसरी बात जब दो लोगों के बीच बातें नहीं बन रही तो तलाक का विकल्प जो सबके पास है उसे ही खत्म कर देना , क्यों ?
क्या जुडी हुई चीज़ें तोड़ी नहीं जा सकती ?
सोचिये जितने भी क़त्ल हुए शादी के बाद उनमें अगर तलाक का विकल्प होता तो वो लोग ज़िंदा नहीं रहते ??
क्या लोगों की जान को , इज़्ज़त से कमतर समझा जाता है ??
ये बस इतनी आसान सी चीज़ है , जैसे शादी दो लोगों का मिलन , वैसे तलाक दो लोगों का अलग होगा , बात खत्म |
क्या सुधार हो सकते हैं :-
1 . सबसे बड़ा सुधार जो हो सकता है वो ये की कोई लड़का या लड़की पहले खुद को योग्य बनाये , जो इंसान ठीक से पढ़ाई नहीं कर पा रहा , नयी चीज़े नहीं सीख पा रहा , वो शादी के लिए तैयार कैसे हो सकता है ? , जो खुद गड्ढे में गिरा हुआ है , वो दूसरे को क्या बचाएगा ??
2 . शादी , ज़िन्दगी की एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है , और इसके पीछे एक कारण जरूर होनी चाहिए , बस शारीरिक सुख की लालसा है , और शादी कर लिए , ये फिर गलत शादी होगी |
3 . जब आप बाजार जाते हैं , कोई सामान खरीदते हैं तो कैसे छोटी से छोटी चीज़ देखते हैं ? 20 रुपये किलो वाली सब्जी भी खरीदनी हो तो छंटनी की जाती है , फिर कैसे शादी जैसे बड़ी जिम्मेदारी के लिए आप अपने साथी का चुनाव बस देख के या 1 घंटे बात करके कर सकते हैं ?
4 . सिर्फ ये मत सोचिये की अगर आप लड़का है तो एक लड़की से शादी हो रही , लड़की से पहले वो एक इंसान है , इसीलिए सिर्फ घर के काम , मेहमानों के घर आना जाना , आपकी सेवा करना , सिर्फ इसीलिए नहीं हुई है शादी , आप उनके साथ बात करिये , किताबे पढ़िए , घूमने जाइये , कई विषय हैं जिस पर बातें हो सकती है , आर्थिक रूप से भी सक्षम बनाइये , फिर क्या , ज़िन्दगी अच्छे से ही गुजरेगी |
5 . अगर आप लड़की हैं तो लड़कों से और अगर आप लड़के हैं तो लड़कियों से दोस्ती जरूर करिये , खासकर जब आप कॉलेज वगैरह में जाते हैं , ये केवल मस्ती मज़ाक के लिए दोस्ती नहीं होनी चाहिए , बल्कि एक दूसरे की भावनाओं की क़द्र करना भी इससे सीखा जा सकता है |
तो ये थे कुछ टिप्स जो आप अपना सकते हैं |
शादी आपको आबाद भी कर सकती है और बर्बाद भी , चुनाव आपके हाथ |
और याद रखिये , " शादी गलत नहीं है , गलत शादी गलत है | "
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