क्या आप सच में भारतीय हो ??
Hello friends ,
मैं हूँ आर्यन और लेकर आया हूँ नया ब्लॉग , Title तो आप सब ने पढ़ ही लिया होगा , तो एक Idea भी हो गया होगा की आज हम किस बारे में बात करेंगे , वैसे आपका Idea जो भी हो , कुछ हद तक सही है , पर पूरी तरह सही नहीं , उसके लिए तो आपको पूरा ब्लॉग पढ़ना ही पड़ेगा |
और पहले से बता देना चाहता हूँ दोस्तों , की इस ब्लॉग के शुरुआत में एक प्रश्न है , क्या आप भारतीय हो ?
अगर आपका उत्तर " हाँ " है , तो ही इस ब्लॉग को पढ़िए , नहीं तो ये आपके लिए नहीं है , अपना समय यहाँ खराब मत करिये ||||
तो चलिए शुरू करते हैं |
अगर कोई मुझसे पूछे , साल के 12 महीनों में आपको कौन सा महीना ज्यादा पसंद हैं तो मेरा जवाब होगा " अगस्त " |
आप बोलेंगे ऐसा क्यों ?
तो इसका एक मात्र यही कारण हैं , " 15 अगस्त " , " स्वतंत्रता दिवस " |
ऐसे में आप कहेंगे की जनवरी महीने में भी तो " गणतंत्र दिवस " मनाया जाता है | वो क्यों नहीं फिर ?
उसका उत्तर भी आपको ब्लॉग के लास्ट में पता लग जाएगा |
अच्छा सभी ने ये पंक्ति जरूर सुनी है " मेरा भारत महान " |
सही है ?
अगर किसी को पूछा जाये की क्यों महान है तो हो सकता है ऐसा जवाब आये --
1 . क्योंकि भारत में हम रहते हैं , इसीलिए महान है |
तब तो दुनिया में लगभग 195 देश हैं , आप वहां रहने लगे तो उसे महान बोल देंगे ???
2 . क्योंकि भारत पहले सोने की चिड़िया थी , यहाँ की सम्पदा और सभ्यता बहुत फली फूली |
तब तो हमारे आगे 4 और देश हैं , क्योंकि अभी भारत 5वा स्थान रखता है , सम्पदा के मामले में |
3 . हमको अंग्रेज़ों द्वारा गुलाम बनाया गया , हमारे क्रांतिकारियों ने अपनी जान पर खेलकर हमें आज़ादी दिलाई |
ऐसे में तो आपको इतिहास पढ़ना चाहिए फिर , कई सारे उपनिवेश हुए हैं जो आंदोलन के बल पर आज़ाद हुए |
4 . क्योंकि यहाँ गंगा जैसी पवित्र नदी है , हिमालय जैसा दृढ़ पर्वत हैं , इसके चरणों में विशाल महासागर है |
क्या नदी में सिर्फ गंगा ही है ? , नील नदी , अमेज़ॉन नदी ये नहीं है ? क्या बाकि देशों को कोई महासागर नहीं छूता है ??
5 . तुम ज्यादा जानते हो तो खुद ही बता दो | 😂
चलिए इसका उत्तर खोजते हैं पर थोड़ा और गहराई में जाते हैं |
अच्छा जब हम " भारत " कहते हैं उसका आशय क्या हुआ ? , क्या ये सिर्फ एक नक्शा है जो इंसानों ने बनाया है ? या सिर्फ जमीन का टुकड़ा जो प्रकृति द्वारा रची गयी है |
" वास्तव में भारत का मतलब कुछ खास चीज़ों ( सजीव + निर्जीव ) के समूहों से हैं | "
और ये खास चीज़ें जहाँ रहेगी , वही भारत बन जाएगा , नहीं फर्क पड़ता की वो पृथ्वी के किस जगह है |
अब ये खास चीज़ें है क्या ?
" वो खास चीज़ें हैं वो दार्शनिक , वो ऋषि , वो ग्रन्थ जिनकी उत्पत्ति हुई उस धरती पर , जहाँ सभी इंसानो , पेड़ पौधों , जीव जंतु , सभी को समभाव से देखा गया | "
" तो महान भारत नहीं बल्कि उन व्यक्तियों की महानता थी , जिनसे मिलकर भारत बना "
और अगर हमें भारत को महान कहना ही है , तो खुद महान बनना पड़ेगा , क्योंकि अगर भारतीय ही महान नहीं है तो भारत कहाँ से महान बनेगा ? क्या मैं गलत कह रहा ?
हमारी प्राचीन सभ्यता -
आप जानते ही होंगे की प्राचीन काल में भारत के ऋषियों ने , ब्राह्मणों ने , ग्रंथों ने प्रकृति को माता का दर्जा दिया और उसमें उपस्थित सभी तत्वों को एक ही तराजू में तौला था , उनके लिए किसी व्यक्ति और एक पेड़ या जानवर में भेद नहीं था , अगर आपकी सिखने की ललक है तो नदी , पर्वत , जीव जंतु इनसे ही पूरा का पूरा जीवन ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं , और किये भी हैं |
आजकल एक मज़ाक बन गया की भारत के लोग पत्थरों की , जानवरों की , पेड़ों की पूजा कर रहे | एक बात बताइये , आज हम गलत जीवन जीते हुए ये सब सोच सकते हैं तो हमारे ऋषिओं , ब्राह्मणों ने थोड़ा तो अपने दिमाग का उपयोग किया होगा ना ? या ऐसे ही बिना सोचे समझे नदियों , पहाड़ों , जानवरों के सामने अपना सर झुकाया ?
गलती कहाँ हुई पता है ?
प्राचीन समय में जहाँ भौतिक सुविधाएं ना के बराबर थी , तो उन लोगों के सामने जो भी चीज़ें दिखी उससे ज्ञान प्राप्त कर लिया , उनके प्रति आदर भाव रखा |
आज जब इंसान सिर्फ भौतिक सुख सुविधा में ही लिप्त है , वही पुराने चीज़ों पर आंख मूंद कर बस कर्मकांड ही किये जा रहा है , फिर अगर कोई तर्क लगा दे तो उसे नास्तिक या देशद्रोही कह देंगे , है ना ?
उदाहरण :-
प्राचीन समय में पूजा के लिए दूध , दही , घी अर्पण किया जाता था , क्यों ? क्योंकि प्राचीन समय में पालतू पशु के रूप में मुख्य रूप से गाय ही उपयोगी थी , उसी से रोजी रोटी चलती थी , बैल थे जो खेतों का काम करते थे , तो उनके लिए दूध सिर्फ दूध नहीं बल्कि सबसे प्रिय वस्तु थी जिसे वे अर्पण करते थे ताकि अपने अंदर " मोह , लालच " इनका ख़ात्मा कर सके , एक सन्देश था की उस ईश्वर के आगे हमारी प्रिय वस्तु भी समर्पित है |
अब वर्तमान में क्या ? आज भी लोग दूध , दही , घी का उपयोग करते हैं पर याद रखिये , आपकी प्रिय वस्तु अब गाय नहीं , बल्कि पैसा है , आप भूल गए आपके यहाँ का दूध एक फैक्ट्री से आता है , जहाँ जबरदस्ती का दूध गाय से निकाल रहे , अब आप कहेंगे हम तो घर का उपयोग करते हैं , चलिए मान लेता हूँ करते हैं पर आप क्या सिर्फ घर का ही दूध उपयोग करते हैं ? बाहर की मिठाइयां नहीं खाते ? बाहर की लस्सी नहीं पीते ?
और क्या आपके घर के गाय के सभी बच्चे जो अब तक उसने दिए थे , क्या सभी आपके घर पर है ?
उनके बच्चों को अपने दूसरों को नहीं दिया ? उसे बेचा नहीं ? तो क्या गारंटी है की वो सब अभी सही सलामत हैं ? किसी कसाईखाने में नहीं गए ?
आप कृष्ण का उदाहरण देंगे , तो सुन लीजिये , जब कृष्ण गाय चराने जाते थे उनके हाथ में बासुरी होती थी , पर आज जब ग्वाले गाय चराने जाते तो उनके हाथों में मोटा डंडा होता है , जिससे गायों को पीटते भी हैं और कई बार उनका खून भी निकाल देते हैं |
तो परिस्थिति बदल चुकी है , पर ग्रंथों की बातें जो है वो एकदम सटीक है , ज्ञान हमे लेना हैं , पर भौतिक वस्तुओं की स्थिति तो बदलती ही है , इसीलिए अपने साधान को भी बदलते रहिये , ज्ञान वही , साधन नयी |
आज हवन यज्ञ में दूध , दही , घी नहीं बल्कि पैसों और सोने - चांदी की आहुति देनी चाहिए , क्योंकि वही आपको ज्यादा प्रिय है , सही है की नहीं ??
आज का समाज :-
5 दिन पहले एक इंसान से मेरी मुलाकात हुई , पेशे से ज्ञान के क्षेत्र में अपना काम कर रहे , बातों बातों में वो बोले की सामान्य वर्गों को छोड़कर बाकि लोगों को कट्टर भीमवाद अपना लेनी चाहिए , मतलब " भीमराव अंबेडकर " के आदर्शों पर चलना चाहिए |
मैंने कहा - अभी क्या खराबी है ? संविधान का पालन तो हम कर ही रहे हैं |
उसने कहा - नहीं हिन्दू ग्रंथों में सिर्फ ब्राह्मणवाद ही है , छोटे तबके के लोगों को दबाया जाना ही उनका उद्देश्य है |
मैंने कहा - पहली बात तो ग्रंथों में कहीं भी जातिगत भेदभाव है नहीं , आपको दिखा मतलब अपने ठीक से पढ़ा नहीं , दूसरी बात जो " जय भीम " के नारे लगाकर सड़कों पर घूम रहे उनको कोई खास मतलब है नहीं " भीमराव अंबेडकर " जी के साथ , इतना ही कट्टारवादी होना है तो वे बौद्ध धर्म क्यों नहीं अपना लेते ? , अंबेडकर जी ने भी तो अपनाया था , 32 डिग्रीयां थी उनके पास , 9 भाषाओं का ज्ञान था , आप एक इंसान दिखा दो जो उनको मानता हो और 3 - 4 डिग्री भी अर्जित किये हो |
अंबेडकर जी को मानना हैं तो संविधान को मानिये , और संविधान में 6 मौलिक अधिकारों से ज्यादा 11 मौलिक कर्त्तव्य हैं , और उसमें साफ साफ लिखा है की " वैज्ञानिक दृष्टिकोण " की भावना का विकास करे |
आपको पता होगा हमारे 11 मूल कर्तव्यों में एक कर्त्तव्य ये भी हैं की " प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करे तथा , उनका संवर्धन करे " , और आपने देखा होगा , जो संविधान और जातिगत चीज़ों को इतना भाव देंगे वे ही शाम को किसी मांस की दुकान पर मिलेंगे , उनकी थाली में किसी बेजुबान जानवर का लाल मांस होगा जिसे वो बड़े चाव के साथ खाता दिखाई देगा , अब कहाँ गया तुम्हारा संविधान का ज्ञान ?
अगले महीने , 15 अगस्त को " स्वतंत्रता दिवस " मनाएंगे , पर क्या सिर्फ इंसानो को अपनी स्वतंत्रता प्यारी है ?
दूसरों की नहीं ? अगर आपको आज़ादी इतनी ही प्यारी है तो केवल खुद की आज़ादी का मत सोचिये , दूसरे इंसानों और जानवरों की भी आज़ादी का सोचिये |
सोचिये आप घर से बाहर निकले और आपको 4 लोग पकड़ के एक कमरे में बंद कर दे , फिर आपको वे लोग कहीं बेचने के लिए ले जा रहे , आपको डर लग रहा है , आपकी आँखों से आंसू आ रहे , आप चिल्ला रहे पर सामने वाले को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है , फिर आपको वे काटने को तैयार कर रहे , आपकी तरह सैंकड़ों लोग उस कमरे में बंद है जहाँ आप रह रहे , बोलिये कैसा लगेगा ???
हम पहले से ही बहुत आज़ाद है दोस्तों , कहीं भी जा सकते हैं , कुछ भी खा सकते हैं , कानून हैं हमारे लिए , ऐसे कई 15 अगस्त आये और चले गए , पर सोचिये , जो आज तक आज़ाद नहीं हो पाए , हर रोज़ सुबह उनको लगता होगा , ये उनका आखिरी दिन है , न जाने कब गले में छुरी चल जाये , क्या पता ? जैसे हमारा परिवार , वैसे ही उनका भी परिवार है |
इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद शायद आपमें से कोई खुद को बदल दे , पर हमे यहीं नहीं रुकना है , जितना हो सके , लोगों तक ये बातें पहुंचनी हैं |
क्या है ये Veganism :-
आपकी तरह मैंने भी ये शब्द पहली बार सुना था , पर इस बात को 7 - 8 महीने बीत गए हैं |
Veganism का मतलब आज़ादी ही है , पर किसकी आज़ादी ?
जानवरों की आज़ादी |
वे बेफिक्र होकर अपनी ज़िन्दगी जी सके , जो उनकी अपनी है , उन्हें अपने जैसा ही समझिये , उनको भी दर्द होता है , डर लगता है |
जानवर हमसे अलग है , पर हमसे छोटे नहीं |
और कोई अगर छोटा समझ भी रहा होगा तो सुनिए - " इंसान धरती का सबसे बड़ा बच्चा है , और बड़ों का फर्ज है छोटों की रक्षा करे , उनको मार के खाये नहीं | "
आप जैसे अपने भाई बहनो से प्रेम करते हो , वैसे ही इनसे भी कीजिये , नहीं तो इस भ्रम में मत रहिये की मैं तो सबको मार कर खा जाऊंगा , और मेरा परिवार और में सुरक्षित रहूँगा , जब घर में आग लगे और कोई किसी एक कमरे में बैठकर बोलों की मैं तो बच जाऊंगा , तो उससे बड़ा मुर्ख कोई नहीं है दुनिया में ||
PETA INDIA :-
दोस्तों ये जो मैंने लिखा है वो एक संस्था है , जिसका पूरा नाम " People For Ethical Treatment Of Animals " है | एक बार आप जरूर इस वेबसाइट में जाइये , मैंने नीचे लिंक शेयर कर दिया है , की कैसे जानवरों के साथ हम अमानवीय व्यव्हार कर रहे , चाहे वो पानी के जानवर हो , जमीन के या फिर हवा के |
PETA WEBSITE 👈👈👈 Click Me
जितनी भी हिंसा हो रही है वो इसी का परिणाम है , दूध के नाम पर गाय और भैसों का शोषण , अंडो के नाम पर मुर्गियों का शोषण , मांस के नाम पर भेड़ , बकरी , मछलियों का शोषण |
याद रखिये - " उस तिरंगे के आगे सर झुकाने और उसके सामने खड़े होने की हिम्मत तभी रखना जब खुद से ये कह सको की मुझे , भारत देश और इसके सम्पदायें , चाहे वो जीव जंतु , पशु पक्षी , क्यों ना हो , इन सबकी रक्षा करनी है , और जब ये भावना आपके दिल में उतर जाये तब सीना तान के उस तिरंगे के सामने खड़े होकर , अपने आवाज़ को बुलंद करके बोलना -
" भारत माता की जय "
" भारत माता की जय " | | | "
मेरे अन्य ब्लॉग 👇👇 ( click to Read )