After Lockdown |
हैल्लो दोस्तों ,
ये बात मुझे पूछने की जरुरत नहीं है की आप लोग क्या कर रहे है ? इस LOCKDOWN में आप सब अभी घर में बैठे बैठे अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे है , मेरे पिछले ब्लॉग में मैंने आपको कुछ टिप्स दिए थे की आप LOCKDOWN के समय को कैसे उपयोग कर सकते है , परन्तु अभी ऐसे भी प्रोफेशन है जिसमे LOCKDOWN के दौरान भी अपना काम जारी रखे हुए है , जैसे डॉक्टर , पुलिस , बिजली विभाग के कर्मचारी , और भी अन्य सेवाएं जिनका हमे सपोर्ट करना चाहिए , क्योंकि अगर ये लोग भी हमारी तरह LOCKDOWN में घर बैठ जाए तो हम घर में रहने लायक नहीं रहेंगे |
तो ये बात रही LOCKDOWN के दौरान करे , पर आपने क्या सोचा है की LOCKDOWN के बाद हमारा काम कैसा हो ? क्या हम वही पुराने विधियों को अपनाने वाले है जो हम पहले करते ? क्या उनमे हमारी कोई गलती नहीं थी ?
क्या हमे उसे सुधारना नहीं चाहिए ?
दोस्तों , कोरोना वायरस को एक तरह से देखें तो ये हमे कुछ सीखने आयी है , अब ये आप पर निर्भर करता है की आप इससे क्या सीखते है ?
1 . प्रकृति से जंग
दोस्तों इतना तो हमको पता लग चूका है की जब प्रकृति अपने रूप में आती है तो हम इंसान का उसके सामने कोई महत्व नहीं रह जाता , हम कितनी मजबूत बिल्डिंग बना ले , हवा में सब ढह जाएगा , हम कितना भी ऊँचा ईमारत बना ले , पानी में डूब जाएगा , और हम साइंस में कितनी भी तरक्की कर ले , हम हर तरह के मुसीबत से लड़ने को तैयार कभी नहीं हो सकते , इसे हम अपने पुराने समय के किये हुए उन कार्यों का हर्जाना बोल सकते है जो हमने प्रकृति के साथ किया , पर क्या अब ये सिलसिला ख़तम नहीं हो सकता ?
LOCKDOWN हमे सिखाता है की असली ज़िन्दगी और नकली ज़िन्दगी में फर्क क्या है , अभी भी समय है हमे इससे सीख लेना चाहिए , और वो गलती कभी न करे जो पहले किये , यही हमारी नयी ज़िदगी की शुरुआत होगी|
2 . पुराने रीती रिवाज
देखा जाए तो इसने हमे सिखाया की हमारे पुराने रीती रिवाज जिनसे हमे या किसी और को कोई खतरा न हो ऐसे चीज़ों को अपनाने में ही हमारी भलाई है | अभी हम सोशल डिस्टैन्सिंग की बात कर रहे है , पर क्या ये पहले से हमारी दुनिया में मौजूद नहीं था ? भारत में जब भी हम नए व्यक्ति से मुलाकात करते है हम हाथ जोड़कर उन्हें नमस्कार करते है , पर ये धीरे धीरे ख़त्म हो गया था , पर सोचिये क्या ये सोशल डिस्टैन्सिंग नहीं है ? क्या हमे इसे LOCKDOWN के बाद नहीं अपनाना चाहिए ? और भी कई चीज़ें है जो हमारी सभ्यता में पहले से मौजूद है , जिसे हमे अब अपनाना ही होगा |
3. पर्यावरण के लिए हमारी सोच
दोस्तों , देखा जाए तो हम मानव ने ही हमारी खूबसूरत धरती को बिगाड़ा है , ये हमे LOCKDOWN के दौरान पता चल गया , 2 महीने की LOCKDOWN में प्रकृति में अपने आपको ठीक किया , जल स्वच्छ हुए , वायु शुद्ध हुई , कई जानवरों को उनका असली घर मिला , क्या आपको नहीं लगता की LOCKDOWN के बाद हमे इसे बनाये रखना चाहिए ?
नदियों को शुद्ध करने सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है पर होता कुछ खास नहीं , वही हमने जब 2 महीने वहां जाना बंद कर दिया तो नदियां अपने आप शुद्ध होती गयी , बिना किसी खर्च के | क्या आपको नहीं लगता हमे LOCKDOWN ख़त्म होने के बाद जो दैनिक क्रियाकलाप हम नदियों में करते उसे बंद कर देना चाहिए ?
ये हमारे लिए संभव है क्योंकि जब 2 महीने आप नदियों में जाना छोड़ सकते हो तो क्या आगे नहीं कर सकते ?
और ये सिर्फ नदी ही नहीं बल्कि वायु के लिए भी सत्य है , कम से कम प्रदुषण करे ऐसा सोचे |
कुल मिलाकर कहा जाए तो आप अपनी गतिविधि को सीमित कीजिये , पृथ्वी की उम्र अपने आप बढ़ जाएगी |
4 . नामुमकिन शब्द क्या है ?
पहले कहा जाता था की इंसान सामाजिक प्राणी है , जब तक दूसरों से नहीं मिलेगा , दुनिया नहीं घूमेगा , कुछ स्वादिष्ट नहीं खायेगा , तब तक उसे चैन नहीं आएगा , पर LOCKDOWN में क्या आप सब एक घर में बंद नहीं थे ? क्या आपको सच में लगता है की हमे बेवजह इधर उधर जाना चाहिए ? क्या हर साल पिकनिक जरुरी है ? क्या बहार रेस्टोरेंट में बर्गर, पिज़्ज़ा , समोसे , चाउमीन , ये सब हमारे लिए जरुरी है ?
क्या LOCKDOWN के बाद आप अभी भी होटल में जाना पसंद करेंगे ? चाहे तो सभी हो सकता है , असम्भब कुछ नहीं |
5 . असली कौन है ?
सिर्फ शरीर अच्छा हो , दिखने में बलशाली लगे , जो हमेशा हसी मज़ाक करता रहे , या ये कहे जो कूल लगे , क्या यही असली मायने में ज़िन्दगी है ? अगर आपको LOCKDOWN में रहना बोरिंग लग रहा , लग रहा बाहर जाके घूमे , घर में रहकर समय काटना , अगर यही आपको लग रहा तो समझ लिए आप अंदर से कमजोर है , बाहर से कैसा भी दिखे कोई फर्क नहीं पडता | आप अभी के समय में अगर खुद संभालना सिख गए , आपमें संयम और संतुष्टि की भावना आ गयी है तो ही समझिये आप असली इंसान है, अभी हमे खुद को बेहतर बनाने में उपयोग करना चाहिए | यही तरीका LOCKDOWN के बाद भी अपनाने में ही भलाई है |
6 . खुद को नया रूप दें
जब आप LOCKDOWN ख़तम होने के बाद घर से निकले तो आपका नया चेहरा होना चाहिए , जो पहले से बेहतर हो , आपके तरीके , आपके विचार पुराने से कहीं ज्यादा अच्छे हो , दुसरो तकलीफ को समझने में जो इंसान काबिल है वही असली इंसान होगा , घर से बाइक में बैठकर निकलकर अपने काम की जगह जाना फिर शाम को घर वापस आना , सिर्फ यही ज़िन्दगी नहीं है , हम सोच सकते है की उस दिन हम कितने लोगों को खुश कर रहे है , उनकी हेल्प कर रहे है , लेकिन याद रहे , मदद उसी की कीजियेगा जिसे असली मायने में उसकी जरुरत हो |
7 . क्या है ज़िन्दगी ?
आपने LOCKDOWN में रहकर बहुत कुछ सिख लिया है की हम ज़िन्दगी को कैसे बेहतर बना सकते है , पर थोड़ा इस पर भी विचार कीजियेगा , की मानव जाति में जन्म लेकर हमने अपने आपको पहचाना भी की नहीं ? ये कहा जाता है की मनुष्य प्रकृति की सबसे बहुमूल्य रचना है , पर क्या हम खुद में सोचते है आप बहुमूल्य है ? हम जन्म लिए फिर पढ़ाई किये , कॉलेज कम्पलीट किये , जॉब लिए , शादी किये , फिर 50 - 55 साल तक काम करते रहे , और अंत में बूढ़े होके अंतिम विदाई भी ले ली , बस तो फिर क्या फर्क रहा हम में और उन जानवरों में ? तो अब LOCKDOWN के बाद अपनी ज़िन्दगी को आज से बेहतर बनाने की कोशिश करे |
8 - ज़रा सिर घुमा के देखिये
हमे ये लाइफ मिली है उसके हमे आभारी होना चाहिए , परन्तु सिर्फ खुद के लिए जीना , फॅमिली के साथ रहना बस यही ज़िन्दगी नहीं हो सकती , जो हमारे आसपास है चाहे वो जानवर हो या इंसान , उनकी ज़िम्मेदारी भी हमारी बनती है , आप इस रास्ते पर चले उसके दोनों ओर देखिये , कहीं कोई ऐसा तो नहीं जिसे हमारी जरुरत हो ? अभी LOCKDOWN में हमारे सामने बहुत से स्थिति आयी जहां लोग बेबश थे , कुछ की मदद हुई कुछ की नहीं , अगर हम चाहे तो अब अपने ज़िन्दगी में इन्हे भी शामिल करके उनको ख़ुशी दे सकते है |
तो आशा करता हूँ की आप सभी lockdown के बाद सभी पहलु पर विचार करेंगे और मानव सभ्यता को नया आयाम देगा |
याद रखिएगा , प्रकृति हमारी परीक्षा ले रही है |
और हमे इसमें पास होना है , यही हमारे नए दुनिया की नींव होगी |
क्या आप नयी दुनिया में आना चाहेंगे ??????
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Sahi hai😊😊
ReplyDeleteबिल्कुल सही मित्र। अब लोगो को ये समझ लेना चाहिए कि चाहे कितना भी अविष्कार कर ले कितनी ही प्रगति कर ले, लेकिन प्रकृति के सामने ये सब तुच्छ है। ये भी समझना जरूरी है कि प्रकृति से खिलवाड़ मतलब प्रकृति को खुली चुनौती।
ReplyDeleteअति सुन्दर विचार सर 🙏🙏🙏
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