आज की सबसे बड़ी जरुरत , Minimalism (मिनिमलिज्म ) (न्यूनतमवाद )
कैसे हैं आप ? उम्मीद है सही होंगे , गर्मी की छुट्टियां चल रही है , अधिकतर लोगों के पास समय भी है , आप कहीं घूमने जा सकते हैं , कोई नयी स्किल सीख सकते हैं , या घर बैठे समय खराब भी कर सकते हैं , आपकी मर्ज़ी |
इसीलिए मैंने सोचा , क्यों न एक ब्लॉग बना लिया जाए , उस टॉपिक पर जिसकी आज सबसे ज्यादा जरुरत हैं , वैसे इस ब्लॉग का टॉपिक का नाम तो आप देख ही चुके हैं पर मैं जानता हूँ की आपमें से कई लोग इस शब्द का असली मतलब नहीं जानते , सोच रहे होंगे , क्या है ये Minimalism (मिनिमलिज्म ) और जिस चीज़ की जरुरत आज सबसे ज्यादा है , उसके बारे में नहीं जानना , ये बहुत दुःखद बात होगी |
तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक " Minimalism (मिनिमलिज्म ) " |
साधारण अर्थ :-
दोस्तों अगर मैं साधारण भाषा में कहूं तो मिनिमलिस्ट का मतलब होता है , जो " न्यूनतमवाद " के सिद्धांत पर चलता है , मतलब ये की जो अपनी ज़िन्दगी में कम से कम चीज़ों का उपयोग करता हैं |
अब आप सोचेंगे , फिर गरीबी भी तो मिनिमलिस्ट का उदाहरण है , जी आपने सही सोचा , पर गरीबी उसका उदाहरण नहीं है , क्योंकि गरीब व्यक्ति के पास वो चीज़ें हैं ही नहीं तो उपयोग कैसे करेगा ? अगर उसे वो सब चीज़ें दे दिया जाये तो वो भी उपयोग करना शुरू कर देगा , है न ?
मिनिमलिस्ट वो है जिसके पास चीज़ें हैं उपयोग के लिए , पर वो उनका उपयोग जरुरत के समय ही करेगा , और कम से कम करेगा |
क्यों बने हम मिनिमलिस्ट ? -
अब आपमें से कई लोग सोचेंगे की मिनिमलिस्ट क्यों बने हम ? तो मिनिमलिस्ट इसीलिए बनना जरुरी हैं क्योंकि हमारे पास अब संसाधन ख़त्म हो रहे हैं , हमने बेवजह उपभोग करना शुरू कर दिया है , जिसकी वजह से धरती के संसाधन बहुत जल्द ख़त्म हो रहे हैं , चलिए इसी पर थोड़ी चर्चा कर लेते हैं -
1 . गरीबी :-
दोस्तों गरीब रहना किसको पसंद हैं ? किसी को नहीं , पर क्या आपको पता हैं ऐसे हमारे देश में कितने लोग हैं जो बिना भरपेट खाये सो जाते हैं ?
लगभग 19 करोड़ लोग |
क्या है वजह , आपको जानकर हैरानी होगी पर वजह हम हैं , आज के समय में पैसा , खाना और संसाधन का बंटवारा बहुत ही ज्यादा विषम हो गया है , अमीर और अमीर हो रहा , गरीब और गरीब होता जा रहा , वजह ?
क्योंकि हमे भोगने की आदत हो गयी है , लोगों के पास थोड़ा पैसा आ जाए तो वो सीधा सीधा अय्याशी का जीवन जीना शुरू कर देता है ,
बहुत सारे कपड़े , सुंदरता बढ़ाने वाले संसाधन , नयी नयी गाड़ियां , ये सब आपने अपने आसपास भी देखा होगा , क्यों ?
क्योंकि दिमाग में हमारे यही बैठाया जा रहा की भोगते रहो , और खुश रहो , हमारे पास समय कहाँ की घर के बाहर देख सके की समस्याएं बहुत है , तो गरीबी को कोई और नहीं हम ही बढ़ावा देते हैं , मदद करने के बजाये अय्याश होते जा रहे हैं |
2. आंतरिक दुःख , बेचैनी :-
क्या आप अभी खुद से ये कह सकते हैं की आप अभी एकदम शांत हैं , कोई समस्या आपको नहीं है , आपका मन सही जगह है , अंदर से खालीपन नहीं लग रहा ?
आप ये नहीं बोल पाएंगे क्योंकि हमे वही सिखाया गया है की असली ख़ुशी बाहर है , किसी व्यक्ति में , किसी वस्तु में |
नतीजा ? हम चूहों की दौड़ में भागने लगते हैं , मेरे दोस्त के पास कार है , मेरे पास भी होना चाहिए , सामने वाले घर में फ्रीज़ और एसी हैं , हमको भी लेना चाहिए , मतलब हम सोचते भी नहीं की कोई चीज़ हमें क्यों चाहिए ?
एक बेहोशी की ज़िन्दगी जीते हैं हम , और अंत में क्या मिलता है ? ज़िन्दगी की वाट लग जाती है , और कुछ नहीं |
हर 10 में से 9 इंसान आपको दुखी और अंदर से गुस्से से भरा हुआ ही मिलेगा , आपने लोगों को गाली देते तो सुना ही होगा , आजकल बात करते हुए गाली मुँह में ना आये तो बातों को सामान्य समझा ही नहीं जाता , 5 मिनट के वार्तालाप में 20 गाली ना दे तो उनको सुकून ही नहीं मिलता , यही है निशानी आपकी आंतरिक बेचैनी और दुःख का |
बाहर से भले खुश लगेंगे पर अंदर से बेचारे खालीपन में ज़िन्दगी जी रहे |
3 . डर :-
अब जब चीज़ों को पूरी तरह इकट्ठा करेंगे तो उनका खो जाने , चोरी हो जाने का डर तो होगा ही न ? आपने बड़े - बड़े सेठ मारवाड़ी लोगों को देखा है , जो बड़ी - बड़ी दुकानें चलाते हैं , उनकी शक्ल ऐसी लगती है जैसे किसी ने ताज़ा - ताज़ा मारपीट के बैठा दिया हो , रातों को नींद नहीं आती , गोली खाकर सो रहे , वजह ? डर |
आपके पास जितनी ज्यादा चीज़ें होंगी , आप उतने ही अंदर से डरे हुए होंगे , ये मैं 100 प्रतिशत दावे से कह सकता हूँ |
4 . ख़त्म होती धरती :-
अभी कल ही अख़बार में न्यूज़ आयी थी , एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी , जिसमे कहा गया की , कुछ देश जैसे जर्मनी , क़तर , ये सभी अपने संसाधन को जो सालभर चलना चाहिए , मात्रा 2 और 4 महीने में खत्म कर दे रहे हैं , भारत की आबादी ही देख लीजिये , 142 करोड़ के पर पहुँच गए हम , लोग बस शादी और बच्चे पैदा करने का काम कर रहे , ये उनका राष्ट्रीय काम बन गया है |
बैंगलौर में भूजल स्तर न्यूनतम चला गया है , चेन्नई में तो 2019 में जीरो डे ( पानी खत्म ) , भी आ चूका है , छत्तीसगढ़ में भी रायपुर और उसके आसपास के इलाके के भूजल स्तर में बहुत गिरावट हुई है , ये सभी नहीं पढ़ते आप ??
संसाधान का भोग बहुत ज्यादा बढ़ चूका है , और हम घरों में बैठकर अय्याशी कर रहे , कैसे चलेगा ???
बदलता युग -
दोस्तों , ऐसा नहीं है की " मिनिमलिज्म " एकदम नया है , अब लोग इसे अपना रहे हैं , विदेशों में ये चलन बढ़ते जा रहा है , अब वक़्त है तो आपके बदलने का | जैसे जैसे लोग इसके बारे में जान रहे हैं , इसे अपना रहे हैं |
अब सीधी सी बात है , जब आपको पता चल ही गया की आपके किसी काम से दूसरों को नुक्सान हो रहा , तो वो काम आप क्यों करेंगे ? बस लोग अब बदल रहे हैं , और जो इंसान नहीं बदलेगा , उसका खुद का ही नुक्सान होगा | इसे समझने के लिए कोई राकेट साइंस की पढ़ाई तो नहीं करनी है , पानी की तरह साफ है |
मिनिमलिज्म बनने के लिए क्या - क्या कर सकते हैं ?
तो दोस्तों चलिए देखते हैं , मिनिमलिज्म बनने के लिए आप क्या क्या चीज़ें कर सकते हैं ?
1 . शाकाहारी खाना : -
क्या आपको पता हैं एक किलों गेंहू उगाने में कितना लीटर पानी लगता है ? लगभग 500 लीटर , और वही एक किलो मांस के उत्पादन में 20 हज़ार लीटर पानी , सोचिये , मतलब की 4 गुना ज्यादा पानी , तो इसीलिए अब जो लोग समझदार हैं वो शाकाहारी होने की तरफ बढ़ रहे हैं , और नासमझ लोग ? अब क्या बोले उनको , छोड़िये , जो मन में आ रहा वो यहाँ लिख दूंगा तो सेंसर हो जाएगा |
2 . आबादी में योगदान :-
हमारे देश का युवा , देश के किसी चीज़ में योगदान दे ना दे , पर आबादी बढ़ाने में जरूर योगदान करता है , कभी सोचा है , आने वाले बच्चे के लिए हवा , पानी , जमीन ये सब आएगा कहाँ से ?
अभी ये हाल है की हमे सही से जीने के लिए 3 पृथ्वी की जरुरत है , सोचिये , एक नया जीवन जो इस दुनिया में आ रहा है , उसके लिए संसाधान कहाँ से आएगा ??
3 . रोजमर्रा की चीज़ें : -
हम अपने रोजमर्रा के कामों के लिए कितने सारे चीज़ों का उपयोग करते हैं , पर सोचा है उसकी जरुरत सच में हैं ?
जैसे एक वाशिंग मशीन को ही ले लीजिये , आपको पता ही होगा की एक वाशिंग मशीन कितना ज्यादा पानी खर्च करता है , चलिए कोई अगर उस काबिल नहीं शारीरिक रूप से तो उसका उपयोग कर सकता है , पर ऐसा होता कहाँ है ? हट्टे कट्टे लोग भी वाशिंग मशीन का उपयोग कर रहे , जिसके पास घर में काम करने को ज्यादा चीज़े हैं नहीं जो खाली बैठा है वो भी वाशिंग मशीन में लगा हुआ है , बाद में यही लोग नारा लगाएंगे , " पानी बचाओ " |
बिजली ही ले लीजिये , बेवजह उपयोग किये जा रहे , बोल रहे अब तो बिजली बिल कम आता है , तो ज्यादा उपयोग करेंगे , जहाँ जरुरत नहीं वहां उपयोग हो रहा , अच्छा फिर बिजली क्या फ्री में बनती है ? या आसमान से आती है ?
अभी छत्तीसगढ़ में हसदेव जंगल के काटे जाने की खबर आपने सुनी होगी , क्यों काट रहे ? कोयला निकालना भी तो पड़ेगा न ? आपको बिजली जो चाहिए , अब बिना कोयला के होगा कैसे ? उतनी आपूर्ति तो सोलर पैनल से होगी नहीं , तो जंगल कटने का कारण कौन बना ? हम |
तो दोस्तों ये थे कुछ चीज़ें , जहाँ पर कोई एक्शन लेना बहुत ज्यादा जरुरी है , नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब आपके खुद के बच्चे आपको कहेंगे " जब धरती बर्बाद हो रही थी तो आप क्या सो रहे थे ? , हमे पैदा क्यों किया ? "
मेरा खुद का अनुभव :-
आपमें से कोई ये सोच भी रहा होगा की ब्लॉग लिखने वाला हमे तो समझा रहा , खुद भी कुछ करता है की नहीं , जी हाँ आपका कहना बिलकुल सही है |
व्यक्तिगत तौर पर मैं मिनिमलिस्ट ही हूँ , मैं ये कोशिश करता हूँ की कम से कम चीज़ों में मेरा काम चल जाये |
मैं वीगन हूँ , और साथ में एंटी नटलिस्ट भी , मतलब बच्चे पैदा करने के विपरीत हूँ मैं , और आपको मेरे मिनिमलिस्ट बनने के कुछ अनुभव बताना चाहता हूँ :-
1 . सादा जीवन उच्च विचार :-
दोस्तों मिनिमलिस्ट बनने से मुझे बहुत ज्यादा वक़्त मिल जाता है खुद के लिए , इसीलिए मैं नयी - नयी चीज़ें सोच पाता हूँ , और मुझे आंतरिक शांति भी मिलती है |
2 . निडर / साहस :-
मुझे व्यक्तिगत तौर पर ये लगता है मिनिमलिस्ट होने से एक निडरता आयी है , वो आपने सिंघम फिल्म का एक डायलाग सुना ही होगा :- " मेरी जरूरते है कम इसीलिए मेरे जमीर में हैं दम " बस मेरा भी कुछ ऐसे ही समझ लीजिये |
3. हेल्पिंग हैंड्स :-
दोस्तों मिनिमलिस्ट होने से एक हेल्पिंग नेचर आया हैं मेरे अंदर , ये मेरा अनुभव रहा है |
तो दोस्तों ये थे मिनिमलिस्ट के बारे में , और आशा करता हूँ आप इस बारे में सोचेंगे , समझेंगे और आगे बढ़ेंगे |