आखिर क्यों बना मैं Vegan ???
Veganism Has Changed My Life .....
मैं आ गया दोस्तों |
कैसे हैं आप ? उम्मीद हैं भले चंगे होंगे |
आज का ब्लॉग किसी विशेष टॉपिक पर नहीं है , बल्कि ये ब्लॉग मेरे लाइफ के पिछले 1 सालों का एक सारांश जैसा ही है , अब पिछला 1 साल ही क्यों ?
क्योंकि फरवरी , 2023 को मैंने Veganism लाइफ स्टाइल शुरू किया था |
अगर आपको इसके बारे में पता न हो तो बता दूँ की Veganism , 20 वीं सदी में उभरा हुआ एक शब्द है , जिसका मतलब होता है आपके लाइफ स्टाइल में चाहे वो आपके खाने को लेकर हो , आपके पहनावे को लेकर हो या किसी भी प्रकार से क्रूरता में सहयोग करे , इन सबमें पशु - पक्षियों का कोई भी उपयोग ना हुआ हो |
जैसे आपके खाने में मांस , दूध , शहद , अंडे इत्यादि नहीं होंगे |
आपके पहनावे में रेशम , ऊन इन सबका उपयोग नहीं होगा |
आप किसी चिड़ियाघर , या जहाँ पशुओं को कैद में रखे जाते हो , उसे सपोर्ट नहीं करेंगे |
तो सबसे पहली बात यहाँ आती हैं क्यों मैं चेंज हुआ ? मैं पहले ये सब खा रहा था , पर ऐसा क्या हुआ की सब बदल गया ?
इसके पीछे मुख्य रूप से 3 लोगों का हाथ है , कौन - कौन ?
1 . प्रसिद्ध लेखिका , रश्मि बंसल |
2 . " मां का दूध " , डाक्यूमेंट्री के निर्माता , डॉक्टर हर्ष |
3 . वेदांत गुरु , आचार्य प्रशांत |
आपने मेरे सोशल मीडिया में आचार्य प्रशांत के तो कई सारे वीडियोस , उनके विचार शेयर करते देखा होगा , पर लेखिका , रश्मि बंसल का नाम आप सिर्फ इसी ब्लॉग में पढ़ रहे हैं |
वैसे आप सभी तो जानते ही हैं मेरा पेशा शिक्षा से सम्बंधित है , उन दिनों ( फ़रवरी 2023 ) मैं रायपुर में एक ट्रेनिंग में भाग ले रहा था , और जैसा की लोगों की सोच है , और जहाँ तक मुझे भी कुछ हद तक सही लगता है , वो ट्रेनिंग बहुत उबाऊ और नीरस भरा था , मैं सबसे पीछे बैठा हुआ था , और सामने मेंटर शिक्षकों की नज़र से बचते हुए मैं पास के खिड़की से बाहर का नज़ारा देख रहा था , तभी मुझे लगा मैं पकड़ा ना जाऊ इसीलिए चुपके से मोबाइल निकालकर मैं अपनी नोटबुक के नीचे दबा दिया , और मोबाइल एप्प के जरिये मैं अख़बार पढ़ने लगा , तभी मेरी नज़र एक पेज पर पड़ी , जिसमे रश्मि बंसल जी का वो आर्टिकल छपा था , और में वो कभी भूल नहीं सकता |
उसका हैडिंग था " गाय को मां का दर्जा दें , या उसके शोषण का कर्जा लें ? "
पूरा आर्टिकल पढ़कर मैं पूरी तरह एक आत्मग्लानि से भर चूका था , मैं खुद की नज़रों में ही गिर चूका था , और ऐसी सोच में पड़ गया , की वहां क्लासरूम में क्या हो रहा मुझे नहीं पता था | अगले ही छण मुझे यही ख्याल आया , और मेरे अंदर से एक ही आवाज आयी , " अब बंद " |
उस आर्टिकल में एक डाक्यूमेंट्री का जिक्र भी था , " मां का दूध " , और , इसे बनाने में डॉक्टर हर्ष को ढाई साल का समय लगा , उन्होंने हज़ारों किलोमीटर की यात्रा की थी , कई बार तो जान को भी खतरा था , उस डाक्यूमेंट्री को देखकर मैं पूरी तरह हिल चूका था , पहली बात तो अगर आप बहुत संवेदनशील हैं तो वो डाक्यूमेंट्री पूरी तरह देख भी नहीं पाएंगे , और अगर देख लिए , तो दूध दोबारा पी नहीं पाएंगे |
" वो सफ़ेद दूध नहीं , बल्कि सफ़ेद खून हैं | "
और मैं पर्सनली आपको वो डाक्यूमेंट्री देखने का आग्रह करता हूँ , जरूर देखिये |
वो U - Tube पर उपलब्ध हैं , और नीचे फोटो पर क्लिक करने पर भी आप उसे देख सकते हैं , मैंने लिंक प्रोवाइड कर दिया है |
Click This Image 👈
सभी कहते हैं " गाय हमारी माता है " , चलिए अच्छी बात , पर गाय से कभी पूछा ? वो आपको अपना बच्चा मानती भी है ?
आप ही बताइये किसी मादा जानवर को दूध कब आता है ? जब उसे अपना बच्चा होता है , मतलब वो दूध उसके अपने बच्चे के लिए है , पर वो दूध तो आप पी जा रहे , अब उसके बच्चे का क्या ?
गांवों में तो चलो उनकी देखरेख हो भी जाती है , पर डेयरी फार्म का क्या ? , वहां तो गायों के बच्चो को पूरी तरह अलग रखा जाता है , आप जो पैकेट वाला दूध ले रहे , वो किसी बच्चे का दूध था , जिसे आपने छीन लिया |
डेयरी फार्म में जो नर बछड़े होते हैं उनको तो कसाई खाना ही भेज दिया जाता है , क्योंकि वो किसी काम का नहीं |
और इन सबको बढ़ावा कौन दे रहा हैं ?
आप !
क्योंकि आपको दूध पीना है , पनीर खाना है , खीर का स्वाद मुँह से उतार नहीं पा रहे |
पूरी धरती पर एकमात्र इंसान ही है जो अन्य जंतु का दूध पिता है , वो भी बूढ़े होने तक |
कभी आपने किसी बिल्ली या कुत्ते को किसी हाथी या किसी गाय का दूध पीते देखा है ? पर तथाकथित बुद्धिमान इंसान ही है जो गाय का दूध पीता रहता हैं , और उनकी ही मौत का कारण बनता है |
Vegan ( वीगन ) बनने के बाद की लाइफ स्टाइल :-
आप में से कुछ लोग सोच रहे होंगे की कैसा रहता होगा जीवन , एक vegan बनने के बाद , तो चलिए आपको बताता हूँ , मुझमें क्या परिवर्तन आया |
1 ) अपनेपन का भाव :-
सबसे बड़ा जो परिवर्तन आया वो ये था की जब भी मैं दूसरे पशुओं को देखता हूँ एक अपनेपन का भाव आने लगता है , और उनसे जो डर है वो ख़त्म होता जाता है , क्योंकि आप उनको सिर्फ एक शरीर की तरह नहीं देखते |
अगर आप उनका मांस खा रहे तो आपको पशुओं से डर जरूर लगेगा |
2 ) शरीर में ताजगी :-
दोस्तों , अगर आप वीगन हैं तो आपके शरीर में एक ताजगी अनुभव होगा , मुझे भी होता है , मतलब ऐसा नहीं लगता की मैं कुछ भारी सा चीज़ खा रहा हूँ , ऐसा लगता हैं जो भी खा रहा , वो सब मेरे शरीर में अवशोषित हो रहा |
3 ) हिंसा कम होना :-
ये बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ मुझमे , जो मुझे कॉलेज के दिनों से जानते हैं वो जानते है की मैं पहले कितना एग्रेसिव हो जाता था , गुस्सा बहुत जल्दी आता था , अब वीगन बनने से लगता है अंदर की हिंसा खत्म ही हो गयी , गुस्सा भी ना के बराबर ही है , पिछले 1 साल में मैंने बहुत कम गुस्सा किया , पिछली बार कब किया , पता नहीं |
4 ) आध्यात्मिक प्रगति :-
मैं कुछ कुछ आध्यात्म के रास्ते पर भी अग्रसर हूँ , तो पहले के मुकाबले , अब मुझे आध्यात्मिक चीज़ें जल्दी समझ आ जाती है , पहले तो मुझे लगता था की ये सब केवल सन्यासियों के लिए ही है ,सब छोड़ देना ही आध्यात्म का आनंद लेने का रास्ता है , पर अब मैं अपने वर्तमान परिस्थिति में ही खुश रहने लगा हूँ |
5 ) मित्रता का भाव :-
दोस्तों ये चीज़ मुझमें बहुत विकसित हुई है , लोगों के साथ बातचीत में एक मित्रता का भाव आने लगा है , जैसे किसी दुकान में गया , पेट्रोल पंप पर गया , या कहीं और तो सामने वाले को सम्बोधन के साथ कुछ कहता हूँ , जैसे " भैया , ये कर दीजिये " , या कोई छोटा है मुझसे तो एक नम्रता का भाव रहता है , कई बार मैंने लोगों को देखा है वो अपने से छोटों से बात करने पर एक रौब दिखाते हैं , तो मुझमे ये परिवर्तन हुआ है |
6 ) मौसम का प्रभाव :-
मुझे नहीं पता , आप यकीन करेंगे या नहीं पर मौसम का प्रभाव मुझे ज्यादा नहीं लगता , जैसे अभी सर्दी का मौसम आया था , उतना ज्यादा ठण्ड नहीं लगा , मुझे किसी ने स्वेटर में शायद ही देखा होगा , वैसे ही गर्मी , जहाँ मैं देखता हूँ मेरे साथ के लोगों को गर्मी लग रही पर मुझे उतना प्रभाव नहीं पड़ता |
अब यहाँ मैं ये नहीं कह रहा की मुझे सर्दी या गर्मी लगती ही नहीं , पर सहनशीलता का गुण बढ़ा है मेरे अंदर |
तो दोस्तों ये थे कुछ परिवर्तन , जो मुझमें आये |
इससे कुछ नुक्सान तो नहीं ?
तो मैं ये कहना चाहूंगा , मैं Gyming भी करता हूँ , और Veganism का उस पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा |
मैं Cow Milk के जगह सोया मिल्क का उपयोग करता हूँ , पनीर के जगह टोफू का |
बस आपकी प्रोटीन की जरुरत पूरी होनी चाहिए |
अब आपमें से कई होंगे जो कहेंगे की क्या तकलीफ है दूध पीने में या किसी जानवर को खाने में |
तो उत्तर भी सुन लीजिये :-
असली नुक्सान
1 ) हिंसक व्यक्ति :-
मांस खाने से आप केवल उस जानवर को नुक्सान नहीं पहुंचा रहे बल्कि खुद को और अपने परिवार को भी नुक्सान पहुंचा रहे हो , पहली बात की मांस का आपके शरीर पर गलत प्रभाव ही पड़ता है , दूसरी बात आपके अंदर दया और करुणा तो जैसे ख़त्म ही हो जाती है , क्योंकि आपके लिए एक जानवर का शरीर केवल खाने की वस्तु हैं तो आप अब इंसानों को भी केवल शरीर ही समझेंगे , और आप देख ही रहे हैं किस तरह हिंसा लोगों के अंदर अपनी जड़ें जमा चुकी हैं , अब इंसान अपने खुद के घर में भी सुरक्षित नहीं हैं |
उस पशु का डर , गुस्सा वो सब हमारे अंदर प्रवेश कर रहा , आप किसी मांसाहारी व्यक्ति को पूरी तरह शांत कभी नहीं पाएंगे , आये दिन अख़बारों में खबर छप रही है , की कैसे हिंसा हमारे संबंधों में , घरों में घुस गयी है |
2 ) पृथ्वी की दुर्गति :-
आपको क्या लगता है , ये सब अंडे , मांस , दूध ये सब प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हो रहे हैं , नहीं ये आपकी गलतफहमी हैं | ये सब कृत्रिम रूप से हो रहा है , एक गाय को इंजेक्शन दे देकर दूध निकाल रहे , मुर्गियों से जबरदस्ती अंडे पैदा कराये जा रहे , इनकी संख्या बढ़ती जा रही , और उनको खिलाने के लिए जंगल काटे जा रहे |
ब्राजील का क्या हाल हुआ है , आप गूगल कर सकते हैं |
अंत में मैं इतना ही कहूंगा की हम इंसान हैं , और अपनी खाने की जरूरतों के लिए किसी जानवर को तंग करने की कोई जरुरत नहीं हैं , पृथ्वी पर इतना सारा चीज़ हैं खाने को की इंसान उसे खत्म नहीं कर सकता , और ये मांस और दूध से हम अपनी पृथ्वी को ही नष्ट कर रहे हैं , सबसे जयादा मेथेन गैस जो ग्रीनहाउस गैस भी है , इसी मांस उद्योग से आ रहा |
3 ) स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव :-
आपको बचपन से ही सीखा दिया जाता है , की अंडे , मांस , दूध ये सब शरीर के लिए फायदेमंद हैं , पर आप जरा चीज़ों को करीब से तो देखिये , तभी पता चलेगा क्या सही है क्या नहीं |
ये पुस्तक , स्वास्थ्य को लेकर है , साफ - साफ लिखा है , ये मांस और दूध आर्थिक रूप से भी हानिकारक है और शारीरिक दृष्टि से भी ,
तो अब जरुरत है आपके सोच को बदलने की दोस्तों , ये पशु हमारे साथ इस धरती पर रहते हैं , ये धरती उनकी भी है , हमारा कोई हक़ नहीं बनता की हम उन पर हक़ जताये |
हमारे नायक , नायिका जो VEGAN हैं :-
दोस्तों , आजकल अब लोग तेजी से वीगन बनते जा रहे हैं , क्रिकेटर , स्पोर्टमैन , सेलिब्रिटीज , कोई इससे अछूता नहीं रहा है |
विराट कोहली , रोहित शर्मा , शिखर धवन , इशांत शर्मा ये सभी शाकाहारी हैं |
वही अगर सेलिब्रिटीज की बात करूँ तो
आर. माधवन , विद्या बालन , शहीद कपूर , जॉन अब्राहम , अमिताभ बच्चन , आमिर खान , रितेश देखमुख , ये सभी शाकाहारी है |
PETA इंडिया , एक संस्था :-
दोस्तों ये संस्था , पशुओं से जुड़े अधिकार के लिए लड़ती हैं , उनको क्रूरता से बचाती है , आप एक बार इसकी वेबसाइट में जरूर जाइये , और देखिये हम मानव किस तरह पशुओं का जीवन बर्बाद कर रहे हैं |
मैं भी इसी संस्था से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ हूँ , अभी हाल ही में रायपुर में रैली निकाली गयी थी , जिसके कुछ फोटो मैं यहाँ Attach कर रहा हूँ , आप जरूर देखिये |
BE VEGAN ... BE HUMAN ....
VEGAN बनना , एक गर्व का विषय है , कोई आम आदमी ऐसा नहीं कर सकता , अगर आप परिवर्तित होते हैं मतलब आप विशेष हैं |
तो कितने लोग VEGAN या VEGETARIAN बन रहे ? कमेंट में जरूर बताइयेगा |