अपना काम बनता , भाड़ में जाए जनता ||
Hello Friends ,
मैं हूँ आर्यन और स्वागत है आपका इस नए ब्लॉग में |
दोस्तों , अक्सर मानव के बारे में एक तर्क जरूर दिया जाता है कि मानव एक सामाजिक प्राणी है और वो हमेशा समाज में ही रहना पसंद करता है , उसकी सारी जरुरत की चीज़ें एक समाज के अंदर ही बनायीं जाती है और सारा काम - काज , रहन - सहन इसी समाज में पूरा होता है |
समाज में एक दूसरे की भावनाओ का सम्मान होता है , और एक सही दिशा में विकास जारी रहता है |
यही है हमारे समाज की परिभाषा |
सही है ?
जी हाँ बिलकुल सही है |
पर क्या अब हमारा समाज उसी विकास की दिशा में गतिशील है ? या इसका रूप पूरी तरह बदल चूका है ?
आज आप देख ही रहे हैं , आये दिन अख़बार , टीवी , सोशल मीडिया में ऐसे ही खबरें ज्यादा रहती है की किसी परिवार में एक व्यक्ति ने अपने ही माँ , बाप , भाई या बहन , पति या पत्नी को ही मार डाला |
होली , दिवाली या कोई ऐसे ही त्योहारों में हिंसा हुआ , किसी ने चाकू मार दिया , किसी ने पत्थर से मार दिया , किसी ने अपनों को ही धोखा दिया , चोरी , डकैती या ऐसे ही कुछ और चीज़ें होती है |
और हम सब भी उस न्यूज़ को पढ़कर पहले तो भावुक होते हैं फिर इस बात पर खुश होते हैं की चलो हमारा परिवार बच गया , सभी सुरक्षित है , हैं ना ?
बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी ??
आप ही बताइये ?
क्या आप समाज से अलग है ? , आप कैसे बोल सकते हैं की हम या हमारा परिवार उस चीज़ से बचा रहेगा ?
क्या आप उसकी गारंटी दे सकते है ? बिलकुल नहीं |
सच तो यही है की सुबह उठते ही आप रोज़ डरते हैं कहीं हमारे परिवार के साथ ऐसा कुछ ना हो जाए और रात को सोने से पहले खुश होते हैं की हमारा परिवार सुरक्षित है |
कब तक चलेगा ऐसा ?
क्या कोई ऐसा दिन नहीं होना चाहिए की बिना किसी तनाव के चैन से सो सके ?
बिलकुल हो सकता है |
कैसे ? चलिए देखते है |
आगे बढ़ने से पहले ये एक छोटी सी कहानी पढ़ लीजिए , ताकि आपको बातें ज्यादा समझ आये |
एक बार श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर और दुर्योधन को एक गांव भेजा और कहा की वहां के लोग कैसे हैं ये पता लगाकर आना , कुछ देर बाद जब दोनों वापस आये तो कृष्ण ने दुर्योधन से पूछा - बताओ ? कैसे हैं गांववाले ?
दुर्योधन बोलै - उस गांव के सभी लोग आलसी है , अपना काम समय पर नहीं करते हैं , एक दूसरे से झूठ भी बोलते हैं , साथ में छल और कपट का सहारा भी लेते हैं |
अब युधिष्ठिर से वही प्रश्न पूछा गया |
युधिष्ठिर बोले - उस गांव के सभी लोग शांत हैं , एक दूसरे की मदद करते हैं , धर्म के अनुसार ही कार्य करते हैं , और एक दूसरे के प्रति प्रेम , दया , करुणा की भावना रखते हैं |
तो इस पर कृष्ण बोले " जो जैसा होता है , वैसे ही दूसरों को समझता है | "
समझ में आई कुछ बात ?
अक्सर अपने लोगों को तर्क देते हुए देखा होगा की कैसे समाज में बुराई फैली है , पर ज्यादातर घटनाओं में किसी और को ही अपराधी माना जाता है , कैसे ?
1 . अगर कोई लड़की अकेले कहीं जा रही हो और कोई लड़का उसको छेड़ दे या परेशान करे तो लोग क्या कहेंगे ? लड़की की ही गलती है , उसे अकेले जाने की क्या जरुरत ? उसने छोटे और भड़काऊ कपड़े पहने होंगे , तभी ऐसा हुआ |
2 . अगर कोई कुत्ता किसी बच्चे को काट ले , तो कहेंगे इन आवारा कुत्तों को कहीं बंद कर देना चाहिए , नाक में दम कर दिए हैं | पर ये नहीं देखेंगे की बच्चे ने क्या किया है ? मैं ये नहीं कह रहा सभी घटनाओ में ऐसा होता है , पर अधिकतर घटनाओ में सम्बंधित व्यक्ति की गलती ज्यादा रहती है |
3 . अगर कोई बाइक वाला किसी पैदल व्यक्ति को टक्कर मार दे , तो सब उस बाइक वाले के ऊपर चढ़ जायेंगे , कि उसी की गलती है |
पर कोई उस पैदल वाले को दोषी नहीं मानेगा |
और ऐसे कई सारी चीज़ें हैं जहाँ हम बिना किसी ठोस तर्क के बस बिना सोचे कुछ भी बोल देंगे |
ऐसा है आज का समाज |
चलिए कुछ घटनाओ को मैं यहाँ बताना चाहूंगा , जो बिलकुल मानवता के विपरीत ही प्रतीत होता है , और आप भी सोचेंगे की हमारा समाज कौन सी दिशा में जा रहा है ?
1 . बकरी नहीं चराने जाने पर पति ने की पत्नी की हत्या |
यहाँ बात सिर्फ एक बकरी की नहीं है , बल्कि उस आदमी के व्यव्हार और उसके हिंसात्मक कार्यों की है , जो इंसान शराब के नशे में धुत हैं उसके लिए किसी इंसान की जान की क्या कीमत हो सकती हैं ?
2. 3 साल की मासूम से बलात्कार |
अब आप बताइये , गलती किसकी ? जो लोग ये तर्क देते हैं की लड़की को छोटे कपडे नहीं पहनना चाहिए , अपने संस्कार नहीं भूलने चाहिए , वो लोग यहाँ क्या कहेंगे ?
एक 3 साल की बच्ची में समझ ही कितनी होती है ?
वो क्या संस्कार दिखाएगी ? वो कितना ही कपडे पहन लेगी ?
गलती है यहाँ उस समाज की जहाँ ऐसी सोच को बढ़ावा मिलता है |
3 . पोर्न देखने की लत ने ले ली जान |
गलती किसकी ?
उस 10 साल के बच्ची की ? इस समाज में हम विकसित होने के लिए आगे बढ़ रहे हैं , तरह तरह की टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहे हैं , मोबाइल सबके हाथ में हैं , पर उसका उपयोग हम किस लिए कर रहे ?
क्या इसमें उस लड़के के माँ बाप की गलती नहीं जिन्होंने उसे मोबाइल पकड़ा के बस छोड़ ही दिया , उसे बताया ही नहीं की उसे करना क्या है उसका ?
क्या इसमें गलती उस शिक्षक की नहीं जो उस बच्चे में संस्कार और धर्म के बीज़ ना बो सका ?
क्या उस समाज की गलती नहीं जो एक लड़की को बस उपभोग की वस्तु समझ रहा है |
4 . गौ हत्या को प्रोत्साहन ?
देखिये कैसे कई सारे गायों को एक ट्रक में भरकर ले जाया जा रहा , अब आप बोलेंगे ऐसे लोग बहुत गलत करते हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले, है न ?
पर माफ़ कीजिये लेकिन अगर आप दूध और दूध से बने चीज़ों का उपयोग करते हैं इसका मतलब आप भी इसमें बराबर के भागीदार है |
जी हाँ ये वही गायें हैं जिनका दूध आपने पिया था , पर अब ये गायें दूध नहीं दे सकती इसीलिए अब इन्हे कटने के लिए भेजा रहा हैं |
याद रखिये , गाय का दूध उसके बच्चे के लिए होता हैं , हमारे लिए नहीं |
अगर आप दूध या दूध से बनी चीज़ें अपने रोजमर्रा की ज़िन्दगी में इस्तेमाल करते हैं इसका मतलब आप भी गौ हत्या करते हैं |
हमारे समाज ने यही सीखा दिया है , दूध पियो शराब नहीं |
पर याद रखे , दूध और शराब दोनों से ही हम खुद को और उन बेजुबान जानवरों पर अत्याचार ही कर रहे हैं |
एक डाक्यूमेंट्री You Tube पर available हैं , आप उसे देखिये , मैं दावे से कह सकता हूँ , अगर आपने उसे पूरा देख लिया , तो दोबारा कभी दूध नहीं पी पाएंगे |
डाक्यूमेंट्री देखने के लिए यहाँ क्लिक करें - जिसका नाम है " माँ का दूध " |
तो दोस्तों ये थी कुछ घटनाये तो हमारे समाज में हो रही है , हर जगह हिंसा , कोई जगह नहीं बचा जो इससे अछूता हो |
न कोई त्यौहार , न कोई मंदिर , मस्जिद , चर्च , न कोई फंक्शन |
ऐसा असंवेदनशील हो गया है हमारा समाज |
दोस्तों ये तो बात हुई प्रॉब्लम की , अब समस्या का समाधान भी तो हो | जी हाँ बिलकुल है |
चलिए देखते हैं क्या हैं वो चीज़ें जो हम अपने दैनिक जीवन में अपनाकर इस समाज को एक नयी दिशा दे सकते हैं |
1. मांसाहार का त्याग :-
दोस्तों ये सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चीज़ हैं , आपका खानपान ही है जो आपके दिमाग को एक दिशा देता हैं , अब आप अगर किसी बेजुबान को काटकर खा रहे हैं तो आपके अंदर की मासूमियत भी धीरे धीरे ख़त्म हो जाएगी , अब फिर आप किसी जानवर को या किसी इंसान को काटने में ज्यादा फर्क नहीं समझेंगे |
और ये एकदम सही बात है , मैंने खुद अपने अंदर ये महसूस किया है , हम इंसान हैं , हमारे पास एक अनमोल तोहफा है कुदरत है , वो है हमारी बुद्धि | जानवर और इंसान में बस इसी का फर्क है , इसीलिए सोचिये और समझिये , किसी को काटकर खाने से आप अपने ही व्यक्तित्व का नुक्सान कर रहे हैं , अपने ही परिवार को खतरे में डाल रहे हैं | साथ ही साथ ये हमारे पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है |
2 . प्रकृति से प्रेम :-
हम प्रकृति में रहते हैं , पर आज आधुनिकता के कारण प्रकृति को भूल ही गए हैं , पर समय आ चूका है , इसमें उपस्थित सभी तत्वों से हम प्रेम करे |
अरे कभी किसी जानवर से दोस्ती कर के तो देखो , आप एक नए आयाम में पहुँच जाएंगे , आप सोच भी नहीं सकते उस लेवल का आपको खुशी मिलेगा |
कभी किसी पेड़ के नीचे उसकी छाँव में बैठकर तो देखो , ऐसी शांति मिलेगी की आप उसे बयां न कर पाओगे |
Just Feel It....
3. आध्यात्मिक :-
हम आध्यात्मिक होने के मतलब गेरुआ रंग का वस्त्र धारण करने , घर बार छोड़ कर कहीं आश्रम में ज़िंदगी बिताने , सब कुछ त्यागने बस इसी को ही समझते हैं | जो बिलकुल एक छोटी सोच का परिणाम है , आप अपने जगह रह कर भी आध्यात्मिक हो सकते हैं , इसके लिए आप गीता पढ़ सकते हैं , आध्यात्मिक पुस्तके पढ़ सकते हैं , इत्यादि |
इससे आपका दिमाग एक सही दिशा में गति करेगा , फालतू के विचार नहीं आएंगे , साथ ही चीज़ों को समझने में सहायता भी मिलेगी |
आध्यात्मिकता पर मैंने एक ब्लॉग लिखा भी है , उसका लिंक इस ब्लॉग के Ending part में Provide कर दूंगा , आप पढ़ लीजियेगा |
4 . शिक्षा और जागरूकता : -
दोस्तों ये है महत्वपूर्ण चीज़ , जो आज की सबसे ज्यादा जरुरत है | जितना हो सके शिक्षित बनिए और बनाइये | आप जहाँ भी हैं जो भी काम कर रहे हो , आप वहीँ से शुरुआत करिये | शिक्षा का प्रचार प्रसार करिये |
और मैं हमेशा ये बात कहता हूँ , जो बस सैलरी लेके शिक्षा दे वो शिक्षक नहीं व्यवसायी है |
असली शिक्षक वही जो शिक्षा के प्रति समर्पित हो |
जागरूक बनिए साथ में अपने करीबियों को भी इससे अवगत कराइये , अगर आपका कोई दोस्त उस रास्ते जा रहा तो उसके साथ मत चले जाइये बल्कि उसे सही रास्ते पर लाइए , दोस्त और होते किसलिए है ?
5 . पालक की जवाबदारी : -
दोस्तों आप में से अधिकतर लोग पालक बनने वाले हैं या बन चुके होंगे , तो आपके सामने बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी हैं , अपने बच्चों को सही रास्ते पर चलने हेतु प्रेरित करे , उनके सामने एक उदहारण बनकर खड़े हो जाइये |
अगर आपका कोई छोटा भाई या बहन हो उसके साथ भी आप अच्छे से बात करिये , उसे कुछ परेशानी हो , उसे दूर करिये , उसे अच्छी शिक्षा दीजिये | बाकि काम वो खुद कर लेंगे |
तो दोस्तों ये थे मेरे विचार , आशा करता हूँ मेरी बातों पर आप गौर जरूर करेंगे और सब नहीं तो कुछ कुछ चीज़ें अपने जीवन में उतारेंगे |
ये समाज हमसे बना है , और हम ही इसे ठीक कर सकते हैं | असंवेदनशील को संवेदनशील में बदल सकते हैं , और शुरुआत होगी किससे ?
खुद से |
फ्रेंड्स इस ब्लॉग के साथ मेरे 50 ब्लॉग आज पुरे हुए , मैंने कई सारे विषयों पर ब्लॉग लिखे हैं , जैसे टेक्नोलॉजी , अध्यात्म , जीवन शैली , आत्मसंतुष्टि , विज्ञान , Vegan और ऐसे ही कई सारे टॉपिक |
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ReplyDeleteNice blog
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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