" WHY ??? " Is it Clear to You ???
Hello friends
I am Aryan and Welcome to my new blog
Friends blog की शुरुआत एक प्रश्न से करता हूं , आप अगर लाल रंग का चश्मा पहन लेते हैं , तो आपको सब चीजें कैसे दिखेंगी ?
लाल रंग ही ना ||||
और यदि एकदम काले रंग का चश्मा हुआ तो ?
मतलब किसी चीज को देखने के लिए सिर्फ नजर ही काफी नहीं है , बल्कि नजरिया भी सही होना चाहिए , सही है ?
चलिए इसी बात को विज्ञान के नजरिए से देखते हैं।
आप सभी ने बचपन से यही पढ़ते आया है , की पृथ्वी घूम रही है ।
पर हम पहले सोचते भी थे की जब पृथ्वी घूम रही है तो हमको पता कैसे नही चलता ।
ये बात मुझे मेरे स्कूल में एक बच्चे ने पूछा था ।
अब इसका कारण यही होता है , की घूमने का पता इसीलिए नही चलता क्योंकि , हम भी उसी के साथ ही घूम रहे हैं।
अब अगर हम पृथ्वी से दूर चले जाएं , तो बिल्कुल हमे पता चल जाएगा ।
चलिए एक दूसरा उदाहरण लेता हूं।
आप में से अधिकांश लोगों ने झूला जरूर झूला होगा , चलिए मान के चलते है , गोलू अपने किसी दोस्त मोलू के साथ झूला झूल रहा है , और भोलू उसे दूसरे जगह से देख रहा है ।
अब गोलू और मोलू दोनो साथ में झूल रहे , इसीलिए गोलू कहेगा की मोलू उसके सामने ही है , और मोलू कहेगा की गोलू उसके सामने है ।
सही है ?
पर भोलू का क्या ?
वो बोलेगा की गोलू और मोलू दोनो साथ में घूम रहे हैं झूले पर।
इसका मतलब स्थिति बदलने से किसी चीज की परिभाषा भी बदल जाती है।
बस यही सिद्धांत हमे अपने रोजमर्रा की जिंदगी में लेकर आना है ।
हम एक समाज में रहते हैं , हमारा परिवार है , दोस्त है , रिश्तेदार है ।
और जब वो लोग कोई काम गलत करते हैं तो होता क्या है की , हम भी उनके साथ ही रहते है , हमारी सोच भी वैसी ही है जैसी उनकी है , इसीलिए हम उनके द्वारा किए गए कार्यों का विरोध नही कर पाते , पर अब आपको उस भोलू के जगह रहना पड़ेगा , जो गोलू और मोलू को झूलते हुए देख रहा है , आप जब अपनी जगह बदलेंगे तभी आपको कोई चीज सही है या नही वो पता चलेगा।
अक्सर हम देखते हैं , कोई बच्चा जब जन्म लेता है , फिर वो अपने परिवार के साथ रहता है , थोड़ा बड़ा होता है फिर स्कूल जाता है , स्कूल से कॉलेज में जाता है , डिग्री लेता है , फिर नौकरी के लिए दौड़ भाग करता है , जैसे ही नौकरी मिली अब उसकी शादी करा देते है , फिर उसके बच्चे आएंगे और फिर भी जनम लेगा , बड़ा होगा , स्कूल जाएगा वगैरह वगैरह। ....
बस हो गयी ज़िन्दगी ?
अब ये देखने को मिलता है , जिसे नौकरी मिली उसे बहुत इज़्ज़त देंगे , जिसे नहीं मिली वो तो अपनी खुद की इज़्ज़त भी नहीं करता , फिर हमारे सामने 2 प्रकार के लोग आते हैं |
एक वो जो नौकरी की तलाश कर रहे |
दूसरे जिनको नौकरी मिल गयी है ,पर वो अब अपनी भोग विलासिता की ज़िन्दगी का मज़ा उठा रहे है , मतलब बस पैसा पैसा पैसा |||||
एक तीसरा केटेगरी भी है , जो बिज़नेस की तरफ जाता है, हालाँकि उनको भी शुरू शुरू में दिक्कतें होती है |
तो मैं बात कर रहा था , नजरिये की |
यही प्रक्रिया कब तक चलेगी ?
अब जरुरत है की उस चीज़ से थोड़ा अलग होकर देखें की वास्तव में हो क्या रहा है |
उसी तरह जैसे भोलू को अलग लगी थी , जब गोलू और मोलू झूला झूल रहे थे |
अब ये अलगाववाद आएगा कैसे ? हमे ये करना कैसे है ?
तो कुछ राकेट साइंस जानने की जरुरत नहीं है , बस आपको अपने चारों और होने वाले या हमारे द्वारा करने वाले हर चीज़ों के पीछे एक शब्द लगा देना है |
और वो शब्द क्या है ?
वो है " क्यों ? "
अब आप जो भी करो उससे पहले एक बार जरूर सोचो की वो चीज़ क्यों करे ? चलिए कुछ उदहारण देता हूँ |
1 . अगर आपको कोई चीज़ खरीदनी है , तो पहले रुकिए , अपने आपसे पूछिए , वो क्यों जरुरी है ? क्या सच में वो हमारे लिए जरुरी है ? इसी बात पर आप 7 दिन नियम को फॉलो कर सकते है , करना आपको ये है , अगर कुछ खरीदना का मन हो , तुरंत मत लीजिये , 7 दिन तक सोचिये , क्या वो वाकई हमारे लिए जरुरी है ? , अधिकतर यही देखा गया है , 7 दिन बाद , वो चीज़ आपके लिए मायने नहीं रखती |
2 . अगर आप अपनी शादी के लिए सोच रहे , या घर में कोई बोल रहे है , तो अपने से पूछिए , क्यों ? क्यों जरुरी है ?
3 . अगर किसी जॉब में जाने की तैयारी भी कर रहे , तो अपने से पूछिए , क्यों जा रहा हूँ ? , क्या सिर्फ पैसा चाहिए या कुछ और ?
हमारे पास पैसा है , तो जरुरी नहीं हम अपने लिए सामान ही खरीदते रहे | कई लोग ऐसे है जिन्हे उस चीज़ की हमसे ज्यादा जरुरत है , एक बार दे के तो देखो |
अगर हमारे पास पैसा नहीं भी है , तो भी आप अपना समय तो कहीं ना कहीं खर्च कर ही रहे हो , तो वो मैं क्यों कर रहा हूँ , ये अपने से पूछिए |
अगर आपको लगता है , आपके क्यों का जवाब एकदम सही बैठ रहा तो बेशक आगे बढिये , नहीं तो रुक जाइये |
पर अधिकतर यही देखा जाता है , हमारे क्यों के जवाब में कुछ खास नहीं रहता , हम बस वही करना चाहते हैं , जो दूसरे करते हैं , बड़ा घर , बड़ी गाड़ी , तमाम तरह के शानो शौकत वगैरह वगैरह |
पर एक बार नजरिये बदल कर देखिये , फिर आप जानेंगे की जिस ज़िन्दगी में हम इतना समय जिन चीज़ों को दे दिए , असलियत में हमने अपना समय ही बर्बाद किया , और कुछ नहीं |
तो ज़िन्दगी में जब आगे बढ़े तो , अपना " क्यों ? " को जरूर क्लियर कर लीजियेगा |
So Please Comment if any suggestions or else....
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Nice👌👌
ReplyDeleteUseful !!
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