दिवाली , एक शौक़ियाना त्यौहार !!!!!!
मान्यता -
दिवाली , जिसे हम दीपावली भी कहते है , यानि दीपों का त्यौहार , पुरानी मान्यता है इसी दिन भगवान् राम 14 साल के वनवास के बाद अपने घर लौटे थे , और इसी ख़ुशी में पुरे अयोध्या में दीये जलाये गए थे | सभी लोग बहुत खुश थे क्योंकि राम उनके राजा थे , और उनके लिए आदर्श थे | धीरे धीरे इस त्यौहार में बदलाव होते गए , और यह त्यौहार 4 से 5 दिन में ख़त्म होने होना त्यौहार बन गया |
वर्तमान स्थिति -
अब की स्थिति में दिवाली प्रकाश का त्यौहार नहीं बल्कि पैसों का त्यौहार बन चूका है , अगर किसी बच्चे को पूछोगे की दिवाली क्या होती है , इसमें क्या किया जाता है , तो उसका जवाब रहेगा दिवाली में पटाखे जलाये जाते है , मिठाई खाते है , और खड़खड़िया ( एक प्रकार का जुवा ) खेलते है | बस इससे ज्यादा कोई बच्चा नहीं बता सकता | 2 - 4 को छोड़कर सब यही कहेंगे | हम सब तो भूल ही गए जिनके कारण दिवाली मनाया जाता है , क्या किसी घर में राम की पूजा करते देखा है ? दिवाली में राम की नहीं लक्ष्मी की पूजा हो रही है |
1 . धनतेरस -
अब की अगर दिवाली की बात किया जाए तो ये दिवाली पहले की दिवाली से पूरी तरह अलग है , ये अब अमीरों और गरीबों की अलग अलग दिवाली बन के रह गयी , इसमें हमने धरतेरस को जोड़ा जिसमे सामानो की खरीदारी को लेके एक रश्म बना दिया गया , इसका मतलब किसी परिवार में धन से जुडी कुछ समस्या है तो वो धनतेरस रश्म को नहीं मना सकता |
इन सब के ऊपर एक पंडित आ जाएगा जो बताएगा की खरीददारी करने का मुहूर्त क्या है ? और इंसान जो बहुत बुद्धिमान है , उन्ही के अनुसार काम करेगा |
2 . लक्ष्मी पूजा -
इसी दिन को हम असली दिवाली बोल रहे है , इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करते है , पैसे की पूजा की जाती है , अब इस को भी दो भागों में बाँट दिया गया , एक जो अमीर है उनके लिए अलग दिवाली , एक जो गरीब है उनके लिए अलग दिवाली | पिछली दिवाली मैं एक पड़ोस के घर में गया था , मैंने देखा वो लोग एक बॉक्स को खोल के उसमे भरे सिक्कों को निकल रहे है , 1 रुपये , 2 रुपये और 5 रुपये के सिक्के , फिर उन सबको एक थाली में रखे और धोने लगे , फिर उन सबको पूजा वाले जगह में रखकर उस पर गुलाल छिड़के , और बाकि सब विधि किये , जो पूजा में की जाती है |
उनका क्या जिसके पास ये सब नहीं है ?
3 पटाखे जलाना -
कोई अगर बोल देगा पटाखे मत जलाओ , पोलुशन हो जाएगा , तो आगे से कई महान महान विचार वाले मूर्ख लोग बोलेंगे , ** जब एक दिन कोई काम करने से उसका रिजल्ट नहीं मिलता , तो एक दिन पटाखे जलाने से क्या पोलुशन हो जाएगा ? **
तो ऐसे बेवकूफों से यही कहना चाहूंगा की बस 1 मिनट तक उस पटाखे के धुएं में सांस लेके दिखा दो , अगर हालात ख़राब न हो जाए तो कहना , बस एक अगरबत्ती पकड़ के 1 सेकंड में पटाखे फोड़के दिवाली मना लिए सोचते हो , तो आपसे बड़ा बेवकूफ कोई नहीं है |
अगर पैसे ज्यादा है , तो उन्ही पैसों से किसी कुम्हार के बनाये दीये , मूर्ति , ये सब खरीद लो | क्योंकि उनलोग को दिवाली त्यौहार नहीं , बल्कि उनके कमाने का साधन नज़र आता है |
4 जुवा खेलना -
इसमें बच्चों को तो भूल ही जाइये , हमारे घर के बड़े ही यह काम करेंगे , अब उनके लिए मैं कौन सा शब्द उपयोग करू ? , मेरे पास जवाब नहीं |||
जिसकी पूजा कर रहे , उसी का जुवा खेल रहे , और बड़ी शान से बताएंगे की हमने इतना जीता करके |
आगे भी कई रश्म है पर उनका किसी विशेष समूह से कोई रिश्ता नहीं , वो सभी के लिए है , और उसका फर्क भी नहीं पड़ता , जैसे खिचड़ी खिलाना , गोवेर्धन पूजा , भाई दूज |
पर ऊपर के चार ऐसे है , जिसने लोगों को जोड़ा नहीं बल्कि तोडा है |
इन पैसों के लेन देन को हम दिवाली बोल रहे है , पटाखे जलाने को हम दिवाली बोल रहे है , और कहते हैं इंसान सबसे बुद्धिमान है | आपको सच में लगता है ?
दिवाली के असली मायने -
दिवाली के अगर असली मायने की बात करूं तो इसका सीधा सा मतलब है , यह खुशियों का त्यौहार है , दीपों का त्यौहार है , और समानता का त्यौहार है , कई घर ऐसे है जिनके यहाँ दिवाली नहीं होती , उनको खुशियां आप दे सकते है , पैसे है करके फालतू की चीज़ों को लेने से अच्छा है उन का उपयोग करके किसी के घर दिये जला दे , खुशियां दे , उनकों भी दिवाली त्यौहार मानाने दे |
कोई ऐसा वीडियो आएगा अभी जिसमे किसी गरीब का किसी ने मदद किया , उसकी दिवाली उसको लौटा दी , तब तो उस वीडियो को शेयर , लाइक , सब करेंगे | पर जरा सोचिये अगर आप ही मदद करने वाले बन जाये तो कितनी ख़ुशी मिलेगी ???
सोच के देखिये ||||||||
👍👍
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