आप धार्मिक हो या आध्यात्मिक ?
ARE YOU RELIGIOUS OR SPIRITUAL ?
Spirituality vs Religion |
हैल्लो फ्रेंड्स ,
मैं इस टॉपिक पर पहली बार ब्लॉग लिख रहा हूँ , और मैं आपसे इतना जरूर कहूंगा की ये ब्लॉग पढ़ने के बाद आपकी सोच 10 प्रतिशत जरूर बदलेगी |
सबसे पहले मैं आपसे एक प्रश्न करना चाहता हूँ , आप धार्मिक स्वाभाव के है या आध्यात्मिक स्वाभाव के ???
आप में से 90 प्रतिशत लोगो के मन में जरूर ये सोच आएगा की दोनों तो एक ही है , तो इस प्रश्न का क्या अस्तित्व होगा ?? मगर ये दो शब्द ऐसे है की भले ये हमे ईश्वर की ओर ध्यान मोड़ देते है परन्तु दोनों में जमीन - आसमान का फर्क है |
एक धार्मिक इंसान आध्यात्मिक हो भी सकता है और नहीं भी , परन्तु दोनों एक साथ अस्तित्व में रहे इसकी सम्भावना बहुत ही कम है |
धार्मिकता का अर्थ -
धार्मिकता का सीधा - सीधा सम्बन्ध विश्वास से है , बाहरी चीज़ों अर्थात मानव के द्वारा बनाये गए उन नियमों , रीति - रिवाजों , आदर्शों और संस्कारो का पालन करने से है जो उनके अनुसार हमें ईश्वर , अल्लाह और भगवान के अन्य रूपों से जोड़ते है | जैसे उपवास रहना , कंठी माला , रुद्राक्ष पहनना , अगरबत्ती - दीये जलाना , मंदिरो में दान देना , ये सब अगर आप भी करते है तो आप धार्मिक है |
धर्म |
आध्यात्मिकता का अर्थ -
आध्यात्मिकता के सम्बन्ध की बात करे तो इसका अर्थ है आप अपने स्वयं के अंदर ऐसी परिस्थितिया उत्पन्न करे की आपका सम्बन्ध उस अपार सत्ता से हो सके जिसने सभी चीज़ों को विकसित किया है | आप अपंने से प्रश्न करते है की " आप कौन है ? " , " क्या है ? " , " आपका अस्तित्व क्या है ? " |
इसका कोई संबध रीति - रिवाजों , नियमों के पालन से नहीं है , हम अपने स्वयं विवेक का उपयोग करके लोगो , चारों ओर के वातावरण , समाज के प्रति एक भावना विकसित करना | ये आध्यात्मिकता है |
इसमे ध्यान , योग , साधना आदि आते है ।
आध्यात्मिक |
आपको एक स्थिति बताता हूँ , आप बाजार से एक किताब लाते है 500 रुपये की , जिसका शीर्षक है " तैरना कैसे सीखे ?? " | अब आप घर में एक सप्ताह तक उस किताब को पढ़ते है और उसके लोगो को कहते है " मुझे तैरना आ गया " , आप बताओ क्या ये सही है ? आप जबतक पानी में नहीं उतरोगे तब तक कैसे पता चलेगा आपको तैरना आता है ?
धार्मिक होना भी इसी तरह का है , हम उपवास रहे हमने सोचा परमात्मा , ईश्वर , अल्लाह खुश हुए | मंदिर , मस्जिद , चर्च जाके सोचते है हम ईश्वर से मिल लिए | माला पहन कर सोचते है की हम पवित्र हो गए , परन्तु क्या ये सही है ??
आध्यात्मिक होने में इतना ही फर्क है की हम तैरने के लिए पानी में उतरते है , और सीखते भी है की तैरना कैसे है , केवल पुस्तक नहीं पढ़ते बल्कि उपयोग करते है | आप पूरा दिन उपवास रहे और रात में किसी पर गुस्सा भी हो गए तो उपवास से आपको जो शक्ति मिलने वाली थी वो नहीं मिलेगी | क्या मंदिरो में दान देना धर्म है ? नहीं | ये केवल आपकी खुद की लालसाएं है जो ये कराती है |
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धर्म की तलाश में अगर आप निकलोगे तो धर्म के ठेकेदार आपको पूरा जकड़ लेंगे , वही अगर अध्यात्म की खोज में निकले तो आप अपने आपको पूरी तरह जान लेंगे | धर्म हमे केवल बाहरी कड़ियों से जोड़ता है परन्तु आध्यात्मिकता हमे स्वयं से जोड़ती है |
जितने भी महान विद्वान् हुए वो आध्यात्मिक मार्ग पर चलकर उन्नति के मार्ग में अग्रसर हुए | स्वामी विवेकानंद , गौतम बुद्ध , स्वामी दयानन्द , साईं बाबा , ये सभी वो है जिन्होंने आध्यात्मिकता का रास्ता अपनाया और परिणाम आपके सामने है |
दोस्तों अभी हमारे देश में कुछ कारणों से लॉक डाउन है , अधिकतर लोग घर पर समय व्यतीत कर रहे , ऐसी स्थिति में लोग अक्सर सोचते है घर पर क्या करे ? आप एक काम जरूर करे , आप बस खुद से प्रश्न करे की आप कौन है , आपका जीवन का लक्ष्य क्या है ? और उस लक्ष्य को पाने हेतु मुझे क्या करना चाहिए ?
और धर्म के रीति रिवाजो से ऊपर उठकर आध्यात्मिकता की और अग्रसर होकर अपने जीवन को जरूर निखारिये |
अब बताइये आप धार्मिक बनना चाहते है या आध्यात्मिक ??
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Dharmik Hokar Aap Aadhyatmikta Ko Prapt Kar Sakte Ye Asambhav Bhi Nhi ❤💙😊
ReplyDeleteThoda darshan pado sir ya fir psc ya upsc ka book... Dharm aur adhyatm dono achhe se jaan jaoge...
ReplyDeleteDono ek h??
DeleteNo..Ek nahi hai..
DeleteScientist ����
ReplyDeleteBahut acche se religion aur spiritual ke bare me btaya bhai ,lekin aadmi aaj spiritual kam aur religious jyada hai jabki aadmi ko spiritual hona chahiye
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