क्या ऐसे बनेंगे हम महान ??

सभी पाठकों को नमस्कार |||
अगस्त का महीना है , सावन भी लगभग खत्म हो ही गया है , साल 2025 का आधे से ज्यादा वक्त भी बीत चूका है , वैसे अगस्त का महीना हम भारतीयों के लिए एक और पैगाम लेकर आता है , वो है आजादी का दिन , यानी 15 अगस्त |
उस दिन के बारे में जितना कहा जाये , कम ही है | आने वाले कुछ दिनों में आप खुद इसे महसूस करके देख लीजियेगा |
साथियों जब किसी नए काम की शुरुआत होती है , तो उत्साह अपने चरम पर होता है , जैसे जैसे वक़्त गुजरता जाता है , उत्साह कम होने लगता है , और एक स्थिति ऐसी आ जाती है , जब हम नकारात्मकता की और झुकते चले जाते है , आज हमारे देश में यही नकारात्मकता चल रही है , कोई संदेह नहीं की आपको ये पता नहीं हो , पर समाधान की भी कुछ गुंजाईश बची हुई है ? क्या इस बारे में हम सोचते हैं ? या सिर्फ न्यूज़ समझकर आगे बढ़ जाते हैं ?
भारत देश , अपने उन्नति के कारण जाना जाता था , और अभी भी आगे बढ़ ही रहा है , इस देश ने दुनिया को बहुत कुछ दिया , और मैं इसका सम्मान भी करता हूँ , पर क्या आज ये सही हालातों से गुजर रहा है ?
आपको ये पता ही होगा की पूरी दुनिया में दर्शन के क्षेत्र में जिन दो जगहों ने तरक्की की , वो है भारत और यूनान | हमारे देश में दार्शनिकों की कोई कमी नहीं थी , और आपको जानकर गर्व होगा की यूनान से पहले भारत में दार्शनिक हुए , बल्कि जब यूनान में दर्शन की शुरुआत हुई तो भारत में वेद \ उपनिषद् लिखे जा चुके थे |
जिस देश ने ज्ञान के मामले में दुनिया को पछाड़ा था , वो क्या आज भी ज्ञान के मार्ग पर चल रहा ? और देश से मेरा मतलब यहाँ के लोगों से हैं |
जवाब है ,नहीं |
हम कितना भी विश्वगुरु का नारा लगा लें , पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बताती है |
विज्ञान :-
21 वी सदी में आप जान ही गए होंगे की आज का युग विज्ञान के नाम पर लिखा जा चूका है , विज्ञान कोई आम विषय नहीं बल्कि बुद्धि के उच्चतम शिखर से निचोड़ा गया ज्ञान है , जो एक इंसान को इंसान बनाता है , नहीं तो हम पैदा तो जानवर ही होते हैं , हमें सीखनी पड़ती है , चीज़ों को समझना पड़ता है , और ये गुण सिर्फ इंसानों के पास है |
अभी हाल ही में अर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की दुनिया में नाम कमाने वाले दिग्गज इंसान , Elon Musk का एक इंटरव्यू आया था , जिसमें भौतिकी , गणित जैसे विषयों पर ध्यान देने की बात कही , तभी हम आगे बढ़ पाएंगे |


पर भारत की स्थिति इसमें कुछ खास नज़र नहीं आती है , आज जब विज्ञान इतनी तरक्की कर रहा , पढ़ने वाले बच्चे विज्ञान विषय से ही भाग रहे , बस कॉलेजों से पास हो जाये , यही मंत्र लेके घूम रहे , और हमारी सरकार भी इसके लिए कुछ खास उपाय नहीं कर रही |
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लोकधर्म :-
दोस्तों मैंने यहाँ लोकधर्म लिखा है , ना की धर्म |
लोकधर्म का अर्थ है वो धर्म जो लोगों के बीच प्रचलित है , जिसका वास्तविकता से कोई नाता नहीं |
अभी हमारे देश में ये लोकधर्म अपने चरम सीमा पर है , लोग आधुनिकता के साथ ही और अंधविश्वासी हो रहे , खासकर अभी के नौजवान , इन्हे धर्म के नाम पर बस उद्दंडता करनी ही आती है , और इंसानों ने आजकल इसे आस्था नाम दिया है , तो क्या आस्था के नाम पर कुछ भी किया जा सकता है ? फिर आस्था और बेवकूफी में क्या फर्क हुआ ???
और इस लोकधर्म के कारण पशु और इंसान तो छोड़िये , देवताओं की भी बलि दे दी गयी , आजकल इनके एक से बढ़कर एक चित्र बनाये जा रहे , कोई शंकर को बच्चा दिखा दे रहा , कोई दुर्गा को गुड़िया की तरह |
कामुकता भरे चित्रों की होड़ लग गयी है , चाहे वो राधा और कृष्ण हो या फिर शंकर - पार्वती , इन्हे एक दूसरे के गले में हाथ डालकर , आलिंगन करते हुए दिखाई दे रहे , और ये लफंगे आशिक इन चित्रों को अपने सोशल मीडिया के DP और स्टेटस पर लगाकर खुद को धार्मिक बता रहे , आपने यही सीखा है अपने देवताओं से ? आशिकी कैसे करे ??
और इन सब में हनुमान जी फंस गए हैं 😂, उनके साथ कोई देवी तो है नहीं तो वो बन गए अखंड कुंवारे लड़कों के देवता , क्रोधित और शरीर एकदम बॉडी बिल्डरों वाली , और ये लोग नारा लगाए घूम रहे , " जय श्री राम " |
और लोगों के अन्धविश्वास को कायम रखने का काम करते हैं ये तथाकथित ज्ञानी बाबा |
जिनका ज्ञान सिर्फ लोकधर्म पर आधारित है , असली धर्म से ये कोसो दूर रहते हैं , कई पढ़े लिखे , लोग इनके पीछे चलते हैं , और बदले में अपनी ज़िन्दगी खराब करते हैं |
अभी हाल ही में कथावाचक अनिरुद्धाचार्य का बयान आया था , जिसमे उन्होंने लड़किये के बारे में टिका टिप्पणी किये थे , जो किसी भी तरह धार्मिक इंसान का लक्षण नहीं हो सकता |
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ऐसे ही एक टिप्पणी बाबा प्रेमानंद के द्वारा आया था , कहा जाये तो ये बाबा लोग सिर्फ महिलाओं के चरित्र को सही करने का ठेका लेके रखे हैं , चरित्र प्रमाण पत्र इन्ही लोगों के द्वारा जारी किया जाता है , सत्संग के नाम पर सिर्फ नाम जपो कहके , खुद महँगी और आलिशान गाड़ियों में घूमते हैं |
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परिणाम :-
अब आप कहेंगे की ये उनकी समस्या है , हमे क्या लेना ?
नहीं ये उनकी नहीं ये आपकी समस्या है , ऐसे ही अंधविश्वासों के कारण लोगों की जान तक जा रही |
छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में ही , एक छोटी सी बच्ची की बलि दे दी गयी , सिर्फ अमीर बनने की चाहत में , एक ढोंगी तांत्रिक ने ये उपाय बताया और उसी घर के दंपत्ति ने उस बच्ची की जान ले ली |
क्या यही धर्म है ?
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कहा जाता है अभी हमारी आबादी में युवा वर्ग सबसे ज्यादा है , पर जरा ये भी तो देखिये , वो युवा वर्ग क्या कर रहा है ?
अभी सावन में कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई थी , लोगों को इसका मतलब नहीं पता , बस बोल बम बोलते हुए सड़कों पर उपद्रव ही करना है , कुछ ही लोग मिलेंगे जो सही तरीके से इस यात्रा का मतलब जानते हो |

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और तो और , छोटे - छोटे बच्चे अपनी पढाई छोड़कर , इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं , नहीं ये धर्म नहीं हो सकता , और हर इंसान धार्मिक भी नहीं हो सकता , धर्म इतनी सस्ती चीज़ नहीं है |
क्या सच में हम ज्ञान को पूज रहे ?
या सिर्फ लोकधर्म निभाए जा रहे ? क्या ये सब करके हम विश्वगुरु की उपाधि लेने योग्य हैं ?
कुछ दिनों पहले एक शिक्षक ने अपने संस्था में एक कविता पढ़ी , जिसका शीर्षक था " तुम कांवड़ लेने मत जाना " , पता है उनके साथ क्या हुआ ? , उन पर FIR दर्ज कर दिया गया |
क्या ये ज्ञान का अपमान नहीं ?
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कहीं हम ख्याली पुलाव तो नहीं बना रहे की हम विश्व को दिखा देंगे की हम कौन है ? , क्या सच में हम अभी उस स्थिति में हैं ?
आबादी हमारी ताकत : -
अभी भारत की आबादी लगभग 145 करोड़ के आसपास है , पूरी दुनिया में हम नंबर एक पर हैं आबादी के मामले में , चलिए अच्छी बात है , आबादी रहेगी तो तरक्की भी होगी , है न ?
चलिए पढ़ाई या ज्ञान के मामले में बहुसंख्यक लोग आगे नहीं बढ़ पाए , पर खेल के क्षेत्र में तो बढ़ सकते हैं ना ?
खेलों में ओलिंपिक के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे , जिसमे कई सारे देश भाग लेते हैं , देखते हैं वहां हम किस स्थान पर हैं |

ये मेडल साल 2024 के ओलिंपिक का है , हम 71 वे नंबर पर हैं , 145 करोड़ की आबादी , और सिर्फ 6 मेडल ?
उसमे भी गोल्ड मेडल की संख्या शून्य |
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साल 2020 -2021 |
और खेल के नाम पर लोगों को अधिकांशतः क्रिकेट ही दिखता हैं , भले उन्हें कभी मैदान में खेलते नहीं देखोगे , पर सोफे पर बैठकर स्क्रीन के सामने चिपके हुए मैच देखते , आप जरूर देखेंगे इन्हे |
अर्थव्यवस्था :-
अगर हम बात अर्थव्यवस्था की करे तो कोई संदेह नहीं , हम टॉप 5 में गिने जाते हैं , और लगातार बढ़ती ही जा रही , और ये बढ़ती रहे , इसमें कोई विरोधाभास नहीं हैं |

अब जब अर्थव्यवस्था बढ़ ही रही है तो देश के विद्यालय , हॉस्पिटल , सड़के , पुल ये सब भी तो समय के साथ बदलने चाहिए ना ? और मजबूत होने चाहिए , हो रहा इसका उल्टा |

जैसे जैसे समय , पहिये पर सवार होकर आगे बढ़ रहा , वैसे ही इन सरकारी कामों की गुणवत्ता और बिगड़ती जा रही , इसकी ज़िम्मेदारी किसकी है ?
रोजगार : -
इसमें तर्क वितर्क का प्रश्न ही नहीं की आबादी के एक बड़े हिस्से के पास रोजगार हो , तब अर्थव्यवस्था भी आगे बढ़ती रहे , चलिए मैं मानता हूँ सभी को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती , प्राइवेट भी सभी को मिले ये जरुरी नहीं , रोजगार से मेरा आशय , एक सही काम से है जिससे कुछ आय प्राप्त हो , और लोग उस आय के सहारे अपनी ज़िन्दगी बेहतर कर सके |
पर अभी ऐसा है की जो सरकारी नौकरी के लायक हैं उन्हें भी नहीं मिल पा रही , एजुकेशन और एग्जाम सिस्टम को लाचार बना दिया जा रहा |
परीक्षाएं समय पर नहीं हो रही , हो रही तो रिजल्ट समय पर नहीं आ रहा , रिजल्ट आ रहा तो भर्ती प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही |||

वही हमारे देश की संसद में जब इन मुद्दों पर बात होनी चाहिए , पर कई सांसद ऐसे हैं जो वहां मज़ाक बना के रखे हैं , एक ऐसे ही सांसद हैं " रवि किशन " , जो सांसद में समोसों को लेकर अपनी बात रखे की , समोसे की कीमत तय करे सरकार , बड़ा गंभीर मुद्दा उठाया उन्होंने |
विपक्ष के पास कुछ मुद्दा बचा नहीं , और पक्ष वालों का कहना ही क्या ?? 😇
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समाधान :-
साथियों अब तक आप सभी ने देख ही लिया होगा , हम किस ओर जा रहे , चलिए समस्या की बात तो हो गयी , अब जरा समाधान पर भी विचार कर लें ??
समाधान कहीं और नहीं वो आपके अंदर हैं , सिर्फ भेड़ चाल चलने से आप कहीं भी अपनी मंजिल पर नहीं पहुँचने वाले , सबसे पहले देखिये क्या आपके लिए सही है ? पर आजकल हम सिर्फ नक़ल करने में वक़्त गुजार रहे ,
-> मेरे पड़ोस के बच्चे का अच्छे से स्कूल में दाखिला हुआ , अब मेरा बच्चा भी वहां जाएगा |
-> लोग मंदिर , मस्जिद में प्रार्थना हेतु इकट्ठे हो रहे तो हम भी जायेंगे |
-> फलानि जगह एक बाबा पधारे हैं , सब उनका सत्संग सुनने जा रहे , हम भी जायेंगे |
आप इंसान है और इंसान के पास खास चीज़ है , वो है दिमाग और सोचने समझने की शक्ति |
इसीलिए इंसान होने का परिचय दीजिये , सिर्फ मानने के लिए नहीं जानने के लिए भी दिमाग का उपयोग कीजिये , तार्किक बनिए , और अपने आसपास लोगों को भी प्रेरित करिये |
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✌✌✌✌
aaj k moj masti k hood m log apna kal barbad kr rhe
जवाब देंहटाएंab vo lokdharm ki baat ho ya education ki
lokdharm nhi andhadharm (just like andhakanun) or education ab ek degree k alawa kuch nhi rh gya ab
Bahut sahi kaha aajkal log andhbhakti ki or hi jaa rhe hai or govt ko to apni galti chhupane ka madhyam mil jata hai jahan unki kamjori ujagar hoti hai news wale bs babaon ki tippani ko highlight krne lg jate hai
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