स्वर्ग का देवता , पाताल का दानव या धरती का मानव ??
Hello Friends ,
एक बार फिर आप सभी का स्वागत है , मेरे इस नए ब्लॉग में , और आप अभी इस ब्लॉग को पढ़ रहे हैं इसका मतलब है की आपको नयी चीज़ों के बारे में जानना पसंद है , एक जिज्ञासा है आपके अंदर , और मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा की आपको इस ब्लॉग से एक नए विचारों में खोने में मदद मिलेगी , तो शुरू करें ?? 😇
दोस्तों जैसा की कभी आपने सुना होगा , इन्सान अमुक प्रकार के होते हैं , सन्दर्भ बदलने के साथ इसकी संख्या भी बदलती जाती है , पर क्या आप जानते हैं , मुख्य प्रकार कौन से हैं ?
स्वर्ग लोक का देवता :-
दोस्तों जैसा की नाम से पता चल रहा है , यहाँ हम उस इंसान की बात कर रहे हैं जो पूरी तरह पवित्र है , जिसने कभी गलतियां नहीं की , और उसके सामने हमारा सर झुक ही जाता है , इतना प्रभाव तो रहता ही है , और आपको पता है ये लोग कौन हैं ?
आज जिनको धर्म गुरु की उपाधि दी जाती है , जो रहते तो 21 वी सदी में हैं पर इनके कपडे 5वी से 10वी शताब्दी के हैं , जो बात तो चमत्कार की करेंगे पर सहारा लेंगे विज्ञान का , बड़ी गाड़ी , महंगे आश्रम , महँगी जीवन शैली , यदि वह पुरुष है तो महिला से दूर रहे , और यदि वह महिला है तो पुरुष से दूर रहे , और भी बहुत कुछ , और हम समझते हैं यही हैं स्वर्ग के देवता , पर याद रखिये ये एक कल्पना मात्र है , जिसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं |
पाताललोक का दानव :-
इसमें वो लोग आते हैं जिसमे बुराइयां भरी हुई होती है , जो नयी चीज़ें सीखना नहीं चाहते , जैसा चल रहा है वैसा ही चलने देना चाहते हैं , मुँह में शब्दों से ज्यादा गाली , खाने में किसी जीव की लाश , शराब , और भी बहुत कुछ , और ये प्रजाति के जीव आपको बहुतायत में मिलेंगे , हर 100 में से 99 लोगों की कहानी ही यही है |
तो दोस्तों ये तो रहे दो प्रकार जो दुनिया वालों की नज़रों से हैं , समाज ने अपने लोगों को इन्ही दो भागों में बाँट रखा है , और सबसे बड़ी गलती , या ये कहिये सबसे बड़ा गुनाह यहीं हुआ है , एक तरफ हमने बहुत ही साफ़ और दूसरी तरफ बहुत ही गन्दा इन्ही दो समूहों में लोगों को बाँट दिया , और आपको ये समझने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा की देवता से ज्यादा दानव बनने में आसानी है , ऊपर उठने में ताकत लगेगा , पर नीचे गिरने में कोई शक्ति की आवश्यकता नहीं , तो अब आप मुझसे पूछेंगे , करें तो करें क्या ??
क्या तीसरा प्रकार नहीं हो सकता ?
जरूर हो सकता है |
देवता !!!
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दानव !!!
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और तीसरा है धरती का मानव !!!
अब आप कहेंगे ये तो कोई नयी बात नहीं है , हम तो मानव हैं ही , हैं न ?
नहीं , मानव नहीं हैं हम |
चलिए एक वाक्या सुनाता हूँ जो मेरे साथ हुआ -
मैं अपने एक रिश्तेदार के घर गया हुआ था , बातचीत शुरू हुई , कुछ समय बाद उनको पता चला मैं वीगन हूँ , तो उनका पहला वाक्य था की " तुम तो साधु बन गए हो , तुम्हारी शादी के लिए किसी ब्राह्मण लड़की से बात करनी पड़ेगी " और सब हस दिए |
उस वक्त मुझे एक ख्याल आया , क्या साधु , सन्यासी ही ये सब कर सकता है ? क्या संसार में रहकर अच्छी ज़िन्दगी नहीं जी जा सकती ?? कहने को तो वह एक साधारण वाक्य था , पर उसके पीछे एक तीक्ष्ण ताना छुपा हुआ था , की हम जब दुनिया में रह रहे हैं तो.........
शराब क्यों ना पीएं ?
मांस क्यों ना खाएं ?
लोगों को गाली क्यों ना दे ??
चीज़ों को सहेजकर क्यों ना रखे ??
लोगों से ईर्ष्या क्यों ना करे ??

एक सही ज़िन्दगी क्यों जीएं ??
तो मेरा एक सवाल है , क्या दानव बनके ही संसार में रहा जा सकता है ? या देवता की उपाधि प्राप्त करनी जरुरी है ?
धरती का मानव , एक साधारण मानव बन कर क्यों नहीं रह सकता ??
एक अच्छा सा घर हो। .....
सीमित वस्तुएं हो। ....
एक अच्छा सा काम हो। ....
इसमें कोई बुराई दिख रही है ???
मुझे तो नहीं दिख रही , आपको दिखे तो आप बताइये मुझे |
अगर आपने कभी बुद्ध के दर्शन को ध्यान से पढ़ा हो तो आपको पता होगा , उन्होंने सम्यक शब्द का प्रयोग किया था , जिसका मतलब है , "उचित तरीका " , " बीच का रास्ता " |
" अति सर्वत्र वर्जयेत ! "
मतलब " किसी भी चीज़ की अति बेकार है " , चाहे वो अच्छाई कि हो या फिर बुराई की |
तो देवता या दानव क्यों बने ?
मानव बनके भी तो रहा जा सकता हैं ना ?
जब हम अपने बाहर के संसार में जाते हैं , तो अच्छाइयां भी दिखती है , और बुराइयां भी , पर चुनाव तो हमारे हाथ में है न ?
आज किसी को ईमानदार बोल दो , उसे एक ताना मारने की तरह देखा जाता है , क्यों ??
आपने फिल्मों में भी देखा होगा , जो ज्यादा पढ़ा लिखा होता है , उसे एकदम भोंदू जैसा दिखाते हैं , सभी उसका मजाक बना रहे होते हैं , एक तरह से देखा जाए तो अच्छाई को गंदा समझा जाता है , क्यों ??
सवाल में दम तो है !!!
जानता हूँ बहाने बहुत बनेंगे , समय नहीं है , नयीं पुस्तके नहीं पढ़ सकते , नयी जगह घूमने नहीं जा सकते , जिम्मेदारी है , तो दोस्तों शुरुआत करने में क्या हर्ज़ हैं ?
पहले एक कदम तो बढ़ाइए , आगे का रास्ता खुद ब खुद दिखना शुरू हो जाएगा |
तो याद रखिये.....
ना स्वर्गलोग का देवता , ना पाताल लोक का दानव |
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हमें बनना है सिर्फ " धरती का मानव " 😊 |
तो दोस्तों , कैसा लगा आज का ब्लॉग , और आपने क्या सीखा ये जरूर मुझे नीचे कमेंट बॉक्स में बताइयेगा !!!!!
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Be vegan be dharti ka manav 👍
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